पीपलंत्री: हिंदुस्तान का वो गांव, जहां लड़की के पैदा होने पर 111 पौधे लगाकर मनाते हैं ख़ुशियां

Akanksha Tiwari

जी बधाई हो आपके घर में लड़की हुई है! 

ये ख़बर कई हिंदुस्तानियों के घर में शोक़ का माहौल कर देती है, तो वहीं किसी के घर में ख़ुशी की लहर दौड़ जाती है. देश का एक गांव ऐसा भी है, जो कई सालों से ख़ुशी के इस पल पर अनोखी मिसाल कायम कर रहा है. हम बात कर रहे हैं राजस्थान के राजसमंद ज़िले के पीपलंत्री गांव की. पीपलंत्री गांव के लोग बेटी के पैदा होने पर 111 पौधे लगाकर उत्सव मनाते हैं. उत्सव की ये परंपरा 2006 से चली आ रही है.

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रिपोर्ट के मुताबिक, हर वर्ष गांव में क़रीब 60 लड़कियां जन्म लेती हैं. इस तरह से अब तक लगभग ढाई लाख पेड़ लगाये जा चुके हैं. गांव में आपको आम, नीम और शीशम समेत कई दूसरे पेड़ देखने को मिलेंगे. 8 हज़ार की जनसंख्या वाले इस गांव में जैसे-जैसे लड़कियां बड़ी होती हैं, ठीक उसी तरह से पेड़ों का ख़्याल रख कर उन्हें भी बड़ा किया जाता है.  

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कैसे शुरू हुई परंपरा? 

कहते हैं कि इस अनोखी परंपरा की शुरूआत गांव के पूर्व सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल ने की थी. कुछ साल पहले सरपंच ने अपनी बेटी खो दी थी, जिसकी याद में उन्होंने पेड़ लगाने की प्रथा शुरू की. यही नहीं, लड़की के उज्वल भविष्य के लिये गांव वाले 21 हज़ार रुपये जमा करते हैं. इसके बाद 10 हज़ार रुपये लड़की के माता-पिता देते हैं. कुल मिला कर बच्ची के पैदा होते ही 31 हज़ार रुपये जमा करके उसके नाम से 20 वर्षों के लिये सरकारी बॉन्ड में निवेश कर दिये जाते हैं.

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श्याम सुंदर पालीवाल का कहना है कि जन्म के दौरान लड़की के माता-पिता से एक एफ़ीडेविट पर भी साइन कराया जाता है, जिससे वो 18 वर्ष से पहले अपनी बेटी की शादी नहीं कर सकते. इसके साथ ही उनसे बच्ची को पढ़ाने-लिखाने और पौधों का ध्यान रखने का वादा भी लिया जाता है.

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कितनी अच्छी पहल है न. वैसे अगर हम सब भी ये प्रयास करें, तो कितना अच्छा होगा.

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