पिछले कुछ दशकों से भारत में जल संकट ने विकराल रूप ले लिया है. इसका मुख्य कारण पर्याप्त मात्रा में बारिश का न होना है. और ये किसानों के साथ साथ हर इंसान के लिए बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है. वैसे तो देश में अधिकतर जगहों पर पानी की समस्या है. लेकिन बड़े शहरों की बात की जाए तो बीकानेर, मुंबई, दिल्ली, और चेन्नई जैसे बड़े शहरों के कई इलाकों में लोग पीने के पानी को तरस रहे हैं. शहर के लोग टैंकरों से पानी खरीदने पर मजबूर हैं.
कहीं कोई 10 साल का बच्चा अपने परिवार की प्यास बुझाने के लिए रोज़ घंटो की ट्रेन यात्रा कर 2 डिब्बे पीने का पानी ला रहा है, तो लोग गड्ढे में भरे पानी को नितार कर पानी पी रहे हैं. वहीं कुछ लोग ऐसे हैं जिनको पानी मिल रहा है तो वो उसकी बर्बादी कर रहे हैं. आये दिन ख़बरों में देश में गहराते जल संकट घटनाएं सामने आ रही हैं. पानी को लेकर लोगों में झड़पें हो रही हैं. कई बार सुनने को मिलता है न कि तीसरा विश्व युद्ध पानी ले लिए होगा… और अब ये बात सच होती भी नज़र आ रही है क्योंकि बिना बारिश देश में पानी की कमी हो रही है. गौर करने वाली बात है कि चेन्नई पिछले कुछ महीनों से जल संकट का सामना कर रहा है और इसी साल मार्च महीने में राज्य सरकार ने तमिलनाडु के 24 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया था.
अब अगर बात की जाए दक्षिणी राज्य तमिलनाडु जल संकट गहराता जा रहा है. तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में तो हालात बदतर होते जा रहे हैं. अभी मानसून आने का तो दूर-दूर तक कोई अंदेशा नहीं है और विकट गर्मी के कारण पानी के अधिकतर स्रोत सूखे पड़े हैं. चेन्नई में लोगों को पानी न मिलने की वजह से लड़ाई-झगड़ा भी हो रहा है. लोगों को पीने के पानी के लिए किलोमीटर तक जाना पड़ रहा है. और पानी के टैंकर्स से पानी भरने के लिए भी लम्बी-लम्बी कतारें लग रही हैं. लेकिन ये जल संकट सिफ़ चेन्नई तक ही सीमित नहीं है. कुछ दिनों पहले तमिलनाडु के थंजावुर शहर में एक सार्वजनिक टंकी से सीमित पानी लेने को लेकर हुए एक झगड़े में आनंद बाबू नाम के सामाजिक कार्यकर्ता की हत्या तक कर दी गई थी.
Hindustan Times की रिपोर्ट के मुताबिक़, चेन्नई में पानी की ये समस्या अब यहां तक पहुंच चुकी है कि शहर के रेस्टोरेंट्स और आईटी कंपनियों तक का काम भी प्रभावित हो रहा है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चेन्नई में करीब 65 फ़ीसदी तक रेस्टोरेंट्स जल संकट से प्रभावित हैं. कई रेस्टोरेंट्स ने तो फ़ूड सर्व करना ही बंद कर दिया है. वहीं चेन्नई के ओल्ड महाबलिपुरम रोड (OMR) स्थित 12 आइटी कंपनियों में काम करने वाले लगभग 5,000 कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहा गया है. क्योंकि इन कम्पनीज़ के पास अपने स्टाफ़ के लिए पीने का पानी नहीं है. तारामणी के TIDEL पार्क और सिरुसेई के SIPCOT आइटी पार्क के बीच OMR में लगभग 600 IT और ITES कंपनियां संचालित हो रही है. कंपनियां पानी के उपभोग को कम करने के लिए कई तरह के जतन कर रही हैं. कुछ कंपनियों ने तो कर्मचारियों को पीने का पानी घर से लाने तक का कह दिया है. गौरतलब है कि 5 सालों में दूसरी बार ऐसा हुआ है जब चेन्नई में आईटी कंपनियों ने अपने एम्प्लॉईज़ को घर से ही काम करने को कहा है.
20 हज़ार से ज़्यादा कर्मचारियों को चेन्नई से बंगलूरू या हैदराबाद शिफ़्ट होने के लिए कहा गया है. ओल्ड महाबलिपुरम रोड रीजन में हर दिन 3 करोड़ लीटर पानी की आवश्यकता होती है, जिसका 60 प्रतिशत पानी तो इन आईटी कम्पनीज़ द्वारा ही यूज़ किया जाता है. वहीं IT Employees Association – UNITE के प्रेजिडेंट, टी भरानिधरन ने बताया, लगभग 4000 पानी के टैंकर इन कम्पनीज़ को पानी की आपूर्ति करते हैं.
वहीं कई बड़ी कपंनीज ने ये प्रस्ताव रखा है कि, हम अपने घर से खाना लाएंगे और पानी का इस्तेमाल केवल हाथ धोने के लिए करेंगे. इसके अलावा पानी बचाने के लिए सारे वॉटर टैप्स का फ़्लो भी सेट कर देंगे.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चेन्नई में पानी की समस्या से निबटने के लिए पर्याप्त वर्षा जल मौजूद नहीं है. गहराते जल संकट के बीच यहां रहने वाले अधिकांश लोग अपने रिश्तेदारों के घर जाना मुनासिब समझ रहे हैं. वहीं, कुछ शहर के दूसरे हिस्से में घर बदलकर रहने लगे हैं जहां पानी की सप्लाई बेहतर है. लगभग 200 दिनों से चेन्नई में बारिश नहीं हुई है और आगे आने वाले तीन महीनों तक पानी की इस कमी से निपटने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है.
चेन्नई को पानी की आपूर्ति करने वाले तीन जलाशय पोन्डी, चोलवारम और चेम्बरमबक्कम सूख गए हैं.
आखिर में आपसे सिर्फ़ इतना ही कहेंगे कि अपने देश में बहुत से लोग पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं. इसलिए अगर आपको पर्याप्त मात्रा में पानी मिल रहा है, तो पानी को बर्बाद करने की बजाए जल संरक्षण करने की कोशिश करें.