ट्विटर के CEO जैक डॉर्सी के ख़िलाफ़ उन्हीं के प्लेटफ़ॉर्म पर लाखों हिन्दू क्यों रिपोर्ट रहे हैं?

Akanksha Thapliyal

ट्विटर ‘Intellectuals’ की जगह थी. यहां टीवी न्यूज़ चैनल्स की तरह चिल्लम-चिल्ली नहीं होती थी. यहां लोग कम शब्दों में अपनी बात कहते थे, जो नहीं पसंद आता था, उस पर शांति से अपना विरोध जताते थे.

चलिए अब भारतीयों के ट्विटर पर चलते हैं.

ट्विटर पर मौजूद लगभग सभी भारतीयों के एकाउंट्स पर इस वक़्त जाति युद्ध चल रहा है. इसे युद्ध कहना ही बेहतर होगा क्योंकि जिस तरह की आक्रामक भाषा पढ़े-लिखे भारतीयों के ट्विटर अकाउंट्स से निकल रही है, उसे सुन कर युद्ध का बिगुल बजाया जा सकता है.

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चलिए बताते हैं हुआ क्या है

कुछ दिनों पहले ट्विटर के CEO जैक डॉर्सी भारत के दौरे पर आये थे. इस ट्रिप में उनकी मुलाक़ात देश के PM नरेंद्र मोदी,शाहरुख़ ख़ान जैसे सेलेब्स से भी हुई. साथ ही जैक कुछ गंभीर मुद्दों पर हुई एक बैठक का हिस्सा भी बने.

इस बैठक में खींची गई एक फ़ोटो ने ट्विटर पर भारत में सालों से चले आ रहे जातिगत भेदभाव की आग में घी डालने का काम कर दिया.

फ़ोटो ये थी:

जैक डॉर्सी की ये बैठक बरखा दत्त समेत कुछ महिलाओं से हुई, जिसका मकसद ट्विटर पर उन सभी महिलाओं के एक्सपीरियंस को साझा करते हुए ट्विटर की नई पॉलिसी और उसके काम करने के तरीके को समझना था. इस बैठक में शामिल हुई दलित हितों के लिए काम कर रही एक्टिविस्ट ने जैक डॉर्सी को एक पोस्टर दिया, जिस पर लिखा हुआ था, ‘Smash Brahmanical Patriarchy.’ हिंदी में कहें, तो ब्राह्मणवादी आधिपत्य को ख़त्म करना.

जैसे ही ये तस्वीर ट्विटर पर गयी, दुनिया भर के कई भारतीयों ने इस पर प्रतिक्रियाएं देनी शुरू कर दी. कुछ ही देर में ट्विटर के सीईओ और उनकी साथी विजया पर भारतीय जाति व्यवस्था को समझे बिना, ऐसा भड़काऊ पोस्टर पकड़ने और उसका समर्थन करने के आरोप लगने लगे. 

इस फ़ोटो को भ्रह्माणों पर अटैक मान कर/ समझ कर कई हिन्दुओं ने ट्विटर पर JackDorseyApologize का हैशटैग भी चला दिया.

ट्विटर दो ध्रुवों में बंट गया, एक खेमा जैक और ट्विटर को ब्राह्मणों के ख़िलाफ़ हेट स्पीच का समर्थन करने पर लताड़ने लगा. पहले खेमे के आरोपों के बाद विजया ने ट्विटर की तरफ़ से सफ़ाई देनी शुरू की.

उनका कहना था कि ये तस्वीर प्राइवेट में खींची गयी थी और इस पोस्टर को पकड़ने का अर्थ ये नहीं निकला जाना चाहिए कि ट्विटर या जैक ब्राह्मणों के ख़िलाफ़ हैं. इस पोस्टर को उन्हें एक एक्टिविस्ट ने गिफ़्ट किया था और किसी ने ये फ़ोटो ट्विटर पर डाल दी. माफ़ी मांगते हुए विजया ने भी कहा कि उन्हें ये पोस्टर पकड़ने से पहले भारत की जाति व्यवस्था और इससे जुड़े लोगों के सेंटीमेंट्स को ध्यान में रखना चाहिए था.

हालांकि विजया के ट्वीट्स को ट्विटर की सफ़ाई या किसी तरह का औपचारिक स्टेटमेंट नहीं माना जाएगा, ऐसा भी कहा गया.

विजया के ट्वीट्स के बाद ट्विटर का दूसरा खेमा भी एक्टिव हो गया, जो इस तरह उनके माफ़ी मांगने को ग़लत कह रहा था. इस खेमे के हिसाब से पितृसत्ता और ब्राह्मणवाद भारतीय सामाजिक व्यवस्था के सबसे बड़े चिंतनीय विषय हैं और इन पर ट्विटर जैसे प्लैटफ़ॉर्म को स्टैंड लेना चाहिए, न कि लोगों के आक्रोश के आगे झुकना चाहिए.

इस पूरे मामले में बरखा दत्त ने अपने ट्विटर पर काफ़ी कुछ लिखा है. बरखा ने पहला आरोप ट्विटर इंडिया पर लगाते हुए कहा है कि वो फ़ोटो किसी और ने नहीं बल्कि ख़ुद ट्विटर के Representatives ने ली थी. उन्होंने इस पूरे मुद्दे को ढंग से हैंडल न करने पर ट्विटर इंडिया को लताड़ा है. आप यहां बरखा के ट्वीट्स पढ़ सकते हैं.

इस पूरे वाकये को समझने की कोशिश करते हुए अगर आप ये सोच रहे हैं कि इस पर ट्विटर के सीईओ जैक डॉर्सी की सफ़ाई/ बयान कहां हैं, तो आपके बता दें कि जैक को अभी तक इस बवाल की हवा भी नहीं लगी है. भारत की ट्रिप के बाद जैक विपासना के लिए म्यांमार चले गये थे. विपासना एक तरह की बुद्धिस्ट मैडिटेशन तकनीक है, जिसमें व्यक्ति कुछ समय के लिए एकांत में, बिना बोले, समाज से दूर ख़ुद को नियंत्रित करना सीखता है. यानी जैक ने अनजाने में जिस घमासान की शुरुआत की, उसका उन्हें रत्ती भर भी आईडिया नहीं है. 

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