क्या होती है हर्ड इम्यूनिटी? क्या इसकी वजह से ही कई लोग कोरोना को मात दे पा रहे हैं!

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भारत में कोरोना का क़हर दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है. पिछले 24 घंटे में कोरोना के 52 हज़ार से अधिक मामले सामने आये हैं. कोरोना इस समय पूरी दुनिया में सबसे तेज़ गति से भारत में बढ़ रहा है.   

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इस दौरान राहत की ख़बर ये है कि भारत में कोरोना रिकवरी रेट 64.44 प्रतिशत पहुंच चुका है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि, नई दिल्ली व आसपास के ज़िलों में 30 प्रतिशत से अधिक लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं, जिससे 3 माह में ‘हर्ड इम्युनिटी’ बन जाएगी. 

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इन दिनों भारत में ‘हर्ड इम्यूनिटी’ को लेकर ख़ूब चर्चा हो रही है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो भारत में वैक्सीन आने से पहले अधिकतर लोगों में कोरोना वायरस के प्रति एंटीबॉडी बन चुकी होगी, ऐसे में बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. 

क्या होती है हर्ड इम्यूनिटी? 

अगर कोई बीमारी किसी देश के बड़े हिस्से में फ़ैल जाती है और लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता उस बीमारी के संक्रमण को बढ़ने से रोकने में मदद करती है, तो जो लोग बीमारी से लड़कर ठीक हो जाते हैं, वो उस बीमारी से ‘इम्यून’ हो जाते हैं. मतलब ये कि बीमारी को मात देने वाले लोगों में प्रोटेक्टिव गुण विकसित हो जाते हैं. वायरस का मुक़ाबला करने के लिए उनके शरीर में सक्षम एंटी-बॉडीज़ तैयार हो जाता है. 

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उदाहरण के तौर पर दिल्ली और मुंबई के स्लम धारावी को ही ले लीजिए. दिल्ली में अब तक 30 प्रतिशत लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं. दिल्ली में कोरोना से संक्रमित 1,33,310 में से 1,18,633 पूरी तरह से ठीक होकर घर लौट चुके हैं. इस दौरान कोरोना से ठीक होने वालों का प्रतिशत काफ़ी अधिक है. ठीक इसी तरह कोरोना के हॉटस्पॉट रहे धारावी में अब तक 2100 से अधिक लोग कोरोना को मात दे चुके हैं और इक्का दुक्का मामले ही सामने आ रहे हैं. इसका मतलब साफ़ है कि दिल्ली और धारावी के लोगों में कोरोना से लड़ने के लिए प्रोटेक्टिव गुण विकसित हो रहे हैं.  

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स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो ‘हर्ड इम्यूनिटी’ संक्रमण को रोकने में दो-तरफ़ा कारगर होती है. 80 प्रतिशत लोगों के इम्यून होने पर 20 प्रतिशत लोगों तक संक्रमण नहीं पहुंचता है. उसी तरह अगर किन्हीं विपरीत परिस्थितियों में इन 20 प्रतिशत लोगों को कोरोना संक्रमण हो जाता है तो वो बाकी 80 प्रतिशत तक नहीं पहुंचेगा क्योंकि वो पहले से इम्यून हैं. ऐसे में वायरस का संक्रमण रुक जाटा है और महामारी से निजात मिलने की संभावना बढ़ जाती है. 

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स्वास्थ्य मंत्रालय के ओएसडी राजेश भूषण ने कहा कि, हर्ड इम्यूनिटी या तो वैक्सीन के ज़रिए या फिर एंटीबॉडी के ज़रिए बनती है. यानी कि पहले बीमारी होने के बाद लोग उससे ठीक हो चुके हैं. भारत जैसे देश के लिए ‘हर्ड इम्यूनिटी’ बनना बहुत जटिल है. इसलिए ‘हर्ड इम्यूनिटी’ का प्रयोग करना संभव नहीं है. 

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