देखिए कैसे सेकेंडों में गिराई जाती हैं विशाल बिल्डिंग्स, Noida Twin Towers भी ऐसे होंगे ध्वस्त

J P Gupta

Noida Twin Towers Demolition: नोएडा सेक्टर 93A में बने सुपरटेक (Supertech) के अवैध ट्विन टावर्स (Twin Towers) को 28 अगस्त को ध्वस्त किया जाना है. इसके लिए प्रशासन ने सारी तैयारियां कर ली हैं. रविवार को दोपहर 2:30 मिनट पर इसमें विस्फ़ोट लगाकर इस बिल्डिंग का नामोनिशान हमेशा-हमेशा के लिए मिटा दिया जाएगा.

बताया जा रहा है कि इसके लिए 3,700 किलोग्राम विस्फ़ोटक पूरी बिल्डिंग में लगाया गया है. इस विस्फ़ोट को होने मात्र 9 सेकेंड लगेंगे और इसका बटन भारतीय ब्लास्टर चेतन दत्ता दबाएंगे. उनकी कंपनी Edifice Engineering और दक्षिण अफ़्रीका की कंपनी Jet Demolitions मिलकर इस काम को अंजाम देंगी.

Twin Towers

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सेक्टर 93A में स्थित Apex (32 मंज़िला) और Ceyane (29 मंज़िला) के विध्वंस से लगभग 35,000 क्यूबिक मीटर मलबा निकलेगा, जिसे साफ़ करने में कम से कम 3 महीने का समय लगेगा. इस बिल्डिंग को कैसे गिराया जाएगा और इसके गिराने की प्रक्रिया क्या है, इसके बारे में जानने को लोग उत्सुक हैं. चलिए लोगों की इस जिज्ञासा को भी शांत कर देते हैं.

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ट्विन टावर्स को Implosion प्रक्रिया के तहत गिराया जाएगा. ये अर्बन यानी शहरी इलाके में किसी बहुमंज़िला इमारत को गिराए जाने का सिंपल और सेफ़ तरीका है. इसे 4 चरणों में पूरा किया जाएगा.

1. सुरक्षा उपाय

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धवस्तीकरण सुरक्षित हो इसके लिए कंपनी और प्रशासन को मिलकर इसकी तैयारियां करनी होती हैं. इमारत के आस-पास के इलाके को पहले से ही खाली और विस्फोट के समय ब्लॉक कर दिया जाता है. बिल्डिंग को खाली कर उसको चारों तरफ से कवर किया जाता है ताकी मलबा और धूल उसी स्थान तक सीमित रहे. ट्विन टॉवर्स को 4 लोहे की जालियों और 2 कंबल की परतों से कवर किया गया है.

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2. विस्फ़ोटक लगाना

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इमारत के केंद्र को गिराने के लिए चुना जाता है. विस्फ़ोटकों को इस तरह से लगाया जाता है कि ब्लास्ट होने के बाद सारी बिल्डिंग एक ही जगह या फिर अंदर की ओर ही गिरे. विस्फोटकों के फटने के समय में थोड़ा अंतर भी रखा जाता है.

3. विस्फ़ोट

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इसके बाद विस्फ़ोट किया जाता है. इसके लिए सबसे अनुभवी ब्लास्टर को चुना जाता है. बिल्डिंग का डेटोनेटर वहां से 50-70 मीटर की दूरी पर होता है. ताकि ब्लास्ट करने वाले को भी कोई हानि न पहुंचे.

4. मलबे का निपटारा

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चौथे चरण में बिल्डिंग के मलबे को सही तरीके से हटाया जाता है. इसके लिए बुलडोज़र, ट्रक और दूसरे मशीनों का प्रयोग किया जाता है. मलबे को रीसाइक्लिंग के लिए तय किए गए स्थान पर भेजा जाता है.

वैसे ये पहली बार नहीं है जब किसी बिल्डिंग को इस तरह मिटाया जा रहा हो. इससे पहले केरल में भी इसी तरीके से एक बिल्डिंग को ज़मींदोज किया गया था. साल 2020 में केरल के मराडू की बहुमंज़िला आवास परिसरों को तरह गिराया गया था. इसका वीडियो आप यहां देख सकते हैं:

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