दुनिया की सबसे बड़ी विडंबना ही यही है कि जिन ख़तरनाक हथियारों में करोड़ों पैसा ख़र्च कर दुनियाभर की सरकारें अपने देश की रक्षा के लिए ख़रीदती हैं वहीं हथियार तबाही का सबसे बड़ा अस्त्र होते हैं.
रूस और यूक्रेन में चल रहे युद्ध में रूसी सेना द्वारा इस्तेमाल किया गया वैक्यूम बम (Vacuum Bomb) ऐसी ही तबाही का एक अस्त्र है.
अंतर्राष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यूक्रेन के अमेरिका में राजदूत ओकसाना मार्कारोवा ने इसका दावा किया है. मार्करोवा ने पत्रकारों से हुई बातचीत में कहा से कहा, “उन्होंने आज वैक्यूम बम का इस्तेमाल किया, जो वास्तव में जिनेवा सम्मेलन द्वारा प्रतिबंधित है.”
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव Jen Psaki ने भी कहा कि उन्होंने रिपोर्ट देखी है लेकिन इस बात की पुष्टि नहीं की है कि रूस ने ऐसे हथियारों का इस्तेमाल किया था. “अगर यह सच होता, तो यह संभावित रूप से एक युद्ध अपराध होगा.”
Vacuum Bomb या Thermobaric Weapons आम तौर इस्तेमाल किये जाने वाले बारूद के हथियारों से ज़्यादा ख़तरनाक होते हैं. जिसके चलते इस को लेकर इतना विवाद हो रहा है. आइये, थोड़ा कर विस्तार में इस बम के बारे में और जानते हैं.
वैक्यूम बम क्या होता है?
वैक्यूम बम नई तरह की तकनीक पर बना हुआ एक बेहद ख़तरनाक हथियार है. अधिकतर बम विस्फोटकों से भरे होते हैं मगर यह बम हवा में केमिकल नुमा ईंधन फैलाकर तापमान और प्रेशर पर काम करता है. यह अपने आस- पास की हवा खींचकर ऐसा दबाव पैदा करता है कि फटने पर इसके चपेट में आने वाली हर वस्तु और इंसान चंद सेकंड में तबाह हो सकते हैं. यह एक बेहद क्रूर हत्या होती है.
कैसे काम करता है वैक्यूम बम?
इस को एयरोसोल बम भी कहते हैं. (Aerosol एक ऐसा पदार्थ होता है जिसको प्रेशर की मदद से किसी भी चीज़ में बंद किया जाता है और स्प्रे या छिड़काव करके उसे इस्तेमाल में लाया जा सकता है.) यह बम एक 2 स्टेप युद्धि सामग्री है. पहले स्टेप में जब ये बम सतह को छूता है तो अपने आस- पास के वातावरण में बादल के रूप में केमिकल ईंधन के मिश्रण को बिखेरता है. ईंधन के ये महीन कण हवा जैसे होते हैं जो किसी भी जगह आसानी से पहुंच सकते हैं.
दूसरे स्टेप में यह ईंधन जल जाता है और अपने आस- पास की सारी हवा खींचकर ऐसा प्रेशर बनाता है कि सब कुछ गर्म और जलने जैसा हो जाता है, इतने प्रेशर के परिणाम स्वरूप एक बड़ा धमाका होता है. जानकारों का कहना है कि वैक्यूम बम की विस्फोट लहर पारंपरिक विस्फोटकों की तुलना में काफ़ी अधिक समय तक चलती है.
इस बम के प्रभाव क्या हैं?
इस बम में इतनी ताक़त है कि ये इंसान को कुछ मिनट में भाप की तरह उड़ा देता है. U.S. रक्षा खुफिया एजेंसी द्वारा 1993 के एक अध्ययन में इस बम के घातक प्रभावों के बारे में कहा गया था कि, “जो मारता है वह दबाव की लहर है, और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि बाद में होने वाला रेयरफ़ेक्शन (वैक्यूम), जो फेफड़ों को तोड़ देता है.”
क्या वैक्यूम बम का इस्तेमाल ग़ैर क़ानूनी है?
इस बम के उपयोग पर विशेष रूप से प्रतिबंध लगाने वाला कोई अंतरराष्ट्रीय क़ानून नहीं है लेकिन यदि कोई देश इसका उपयोग आम नागरिक पर करता है तो उसे 1899 और 1907 के हेग सम्मेलनों के तहत युद्ध अपराध का दोषी ठहराया जा सकता है. यही नहीं Amnesty International और Human Rights Watch ने भी इसके इस्तेमाल पर सख़्त आपत्ति जताई है.
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