सरहद के पार भी ऐसे लोग हैं, जो अपनी सरकार के ख़िलाफ़ हमारे पायलट की आज़ादी के लिए लड़ रहे थे

Kundan Kumar

जैसे ही पाकिस्तान से ये ख़बर आई कि वो विंग कमांडर अभिनंदन को कल वापस भेजने वाले हैं, भारतीयों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई. मीडिया और सोशल मीडिया पर बधाईयों का तातां लग गया. 

अभिनंदन की वापसी के लिए कल से ही भारत सरकार के ऊपर लगातार दबाव बनाया जा रहा था, पाकिस्तान को ‘जेनेवा कन्वेंशन’ का हवाला दिया जा रहा था, आखिर में ख़ुशख़बरी हाथ लगी. 

लेकिन इस बीच ये भी बताना ज़रूरी है कि सीमा के उसपार भी कुछ लोग ऐसे थे, जो अभिनंदन की रिहाई की आवाज़ लगातार उठा रहे थे. 

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सोशल मीडिया और कुछ मीडिया हाउस बार-बार इस बात पर ज़ोर दे रहे थे कि पाकिस्तान को अभिनंदन को भारत भेज कर अपने पड़ोसी देश की ओर शांति का हाथ बढ़ाना चाहिए. इसके लिए उन्होंने लाहौर प्रेस क्लब के सामने विरोध प्रदर्शन भी किया. 

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युद्ध की चाहत न रखने वाले कई पाकिस्तानी अपने प्रधानमंत्री इमरान खान का आधिकारिक बयान आने के बाद ही रुके. इंसानियत के नाते एक धन्यवाद हमें भी उन पाकिस्तानियों को भी कहना चाहिए, जो हमारे हिस्से की लड़ाई अपने देश में लड़ रहे थे. 

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