वो ‘दस्यु सुंदरी’ जो बीहड़ों में भी करती थी फ़ैशन, ब्रांडेड कपड़ों की थी शौक़ीन

Abhay Sinha

Woman Bandit Sarla Jatav: चंबल घाटी कई कुख़्यात डाकुओं और बाग़ियों का गढ़ रही है. इनमें मान सिंह, माधो सिंह, मलखान सिंह, निर्भय गुर्जर से लेकर फूलन देवी और सीमा परिहार जैसे डक़ैतों के नाम शामिल हैं. एक समय में शिवपुरी, मुरैना, रीवा, चित्रकूट जैसे इलाक़ों में इन डक़ैतों का ख़ौफ़ था.

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मगर आज हम जिस डक़ैत की कहानी आपको बताएंगे वो न सिर्फ़ अपने ख़ौफ़ के लिए जानी जाती थी, बल्क़ि फ़ैशन के लिए भी. जी हां, इस ‘दस्यु सुंदरी’ का नाम सरला जाटव था.

महज़ 11 साल की उम्र में हुआ था अपहरण

सरला जाटव (Sarala Jatav) को डक़ैत निर्भय गुर्जर (Nirbhay Gujjar) ने उस समय अगवा कर लिया था, जब वो महज़ 11 साल की थी. उसे तंग घाटी के बीहड़ में ले जाया गया था. 14 साल की उम्र में उसकी शादी निर्भय गुर्जर के मुंह बोले बेटे श्याम जाटव (Shayam Jatav) से कर दी गई.

सरला जाटव शुरुआत में बीहड़ के तौर-तरीकों को लेकर सहज नहीं थी, मगर धीरे-धीरे वो निर्भय गुर्जर के गिरोह की सक्रिय सदस्य बन गई. एक समय ऐसा भी आया जब वो निर्भय गुर्जर की सबसे भरोसेमंद साथी बन गई थी. कहते हैं निर्भय गुर्जर की गैर-मौजूदगी में वो ही गैंग को लीड करती थी.

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Woman Bandit Sarla Jatav: ‘मोस्ट वांटेड’ की फ़ैशन में दिलचस्पी

बीहड़ में रहने के बावजूद सरला जाटव बेहद ख़ूबसूरत और फ़ैशन में दिलचस्पी रखने के लिए जानी जाती थी. कहा जाता है कि उसे ब्रांडेड चश्मों और क़ीमती जींस और टीशर्ट का शौक़ था. उसे जब भी मौक़ा मिलता वो महंगे कपड़े ख़रीदती और अच्छे से तैयार होती थी.

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मगर फ़ैशन के साथ-साथ उसे अपना आंतक फैलाने का भी शौक़ था. कम उम्र से ही वो बंदूक के कारतूस को कमर में लगाकर घूमती थी. कुछ घटनाओं में उसका नाम आते ही पुलिस की लिस्ट में वो भी वान्टेड हो गई. उसका नाम हत्या के प्रयास, अपहरण, जबरन वसूली आदि कई मामलों में दर्ज था. उसको पकड़ने पर 1 लाख रुपये का इनाम भी रखा गया था.

2005 में हुई गिरफ़्तार, 17 साल बाद हुई रिहा

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सरला जाटव (Sarla Jatav) का ख़ौफ़ पूरे चंबल में फैल चुका था. मगर निर्भय गुर्जर की मौत के बाद वो पुलिस से बच न पाई. उसे 2005 में इटावा रेलवे स्टेशन से उस समय गिरफ़्तार किया गया था, जब वो ट्रेन में चढ़ने की कोशिश कर रही थी. जाटव को दोषी ठहराया गया था और जेल में उम्रक़ैद की सजा सुनाई गई थी. हालांकि, 3 सितंबर, 2022 को उसे इटावा जेल से रिहा कर दिया गया, जहां उसने 17 साल बिताए.

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