बाघ से लड़ कर लहूलुहान हुई थी, लेकिन अस्पताल न जा कर, पहले सेल्फ़ी लेना क्या जान से ज़्यादा ज़रूरी था ?

J P Gupta

23 साल की लड़की खून से लथपथ थी, मां भी घायल थी, क्योंकि कुछ देर पहले दोनों ने बाघ के साथ डटकर मुकाबला किया था. ये जंग तो उन्होंने जीत ली, लेकिन इसके बाद लड़की ने तुरंत एक सेल्फ़ी ली. इसने ऐसा क्यों किया ? आइए आपको बताते हैं पूरा किस्सा.

इस लड़की का नाम है रूपाली मेशराम, जो महाराष्ट्र के नागपुर के एक गांव में रहती है. इनका घर जहां है, वहां से जंगल बहुत करीब है और अकसर गांव में बाघ आ जाते हैं. 29 मार्च की रात को भी एक बाघ आया और रूपाली की बकरियों पर हमला कर दिया. बकरियों की आवाज़ सुनकर रुपाली बाघ से एक लकड़ी के सहारे भिड़ गई.

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बेटी की मदद करने उसकी मां भी वहां आ गयी. कुछ देर तक संघर्ष करने के बाद बाघ वहां से भाग गया. बाघ तो भाग गया, लेकिन उससे लड़ते-लड़ते मां-बेटी को गंभीर चोटें आयी. रुपाली और उसकी मां को पास के सरकारी अस्तपताल में भर्ती किया गया.

बाघ से इतनी बहादुरी से लड़ने का बाद रुपाली ने जो किया, वो थोड़ा हैरान करने वाला था. ख़ून में सनी हुई रूपाली ने डॉक्टर या हॉस्पिटल जाने के बजाय, पहले सेल्फ़ी लेने बेहतर समझा। उसकी बहादुरी की हर कोई तारीफ़ कर रहा है, लेकन ये भी सच है कि वो एक ऐसी जनरेशन का हिस्सा है, जिसके लिए सेल्फ़ी एक ख़तरनाक आदत बन चुकी है.और इस आदत के हाथों मजबूर हो कर उसने भी वही किया, जो ज़रूरी नहीं था.

b’Source: Bbc’

वो पहले डॉक्टर के पास जा सकती थी, लेकिन उकसे लिए सेल्फ़ी लेना ज़रूरी थी. रूपाली का अपनी दलील में कहना है कि उसने ऐसा सबूत के लिए किया, ताकि वो ये साबित कर सके कि उसने सच में बाघ से भिड़ंत की थी. हलांकि वो ये सबूत हॉस्पिटल जाने के बाद भी दिखा सकती थी.

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हमारे देश जितनी तेज़ी के साथ स्मार्टफ़ोन खरीदने वालों की संख्या बढ़ रही है, उतनी ही रफ़्तार से लोगों में सेल्फ़ी का क्रेज़ भी बढ़ रहा है. सेल्फ़ी लेने में कोई बुराई नहीं, लेकिन अपनी जान जोखिम में डालकर ख़तरनाक सेल्फ़ी लेना बहुत ग़लत है. 

Source: Bbc

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