दिल्ली ने बीते कुछ दिनों में हैवानियत का बेहद भयानक दौर देखा. 38 ज़िंदगियों ने इसकी कीमत चुकाई. सैकड़ों घायल हुए. मक़ानें, दुकानें और न जाने कितनों की दो वक़्त की रोटी के ज़रिये कुछ राक्षसों के स्वार्थ की भेंट चढ़ गए. मानवता को जब ख़त्म करने की कोशिशें की जा रही थीं, उस वक़्त एक चमत्कार हुआ.
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक़, उत्तर-पूर्वी दिल्ली के क़रावल नगर में एक 30 साल की महिला शबाना परवीन और उसके पति को दंगाईंयो की भीड़ ने घेर लिया. दोनों को बुरी तरह से मारापीटा गया. शबाना गर्भवती थीं, लेकिन दंगाईयों ने इस बात की भी परवाह नहीं की. जिसने अभी इस दुनिया में कदम भी नहीं रखा, उसको भी दंगाईयों ने नहीं बख़्शा.
यह सब तब हुआ जब शबाना अपने पति, दो बच्चों और सास के साथ घर में सो रही थीं. सोमवार आधी रात को एक भीड़ ने उनके घर पर हमला कर दिया. भीड़ ने उन्हें बेरहमी से पीटा और उनका घर जला दिया. लेकिन इन सबके बावजूद वो ईश्वर का लिखा नहीं मिटा सके. शबाना ने बुधवार को एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया. इतने क्रूर हमले के बावजूद जन्मे बच्चे को देख परिवार इतना ख़ुश है कि वो नवजात को चमत्कारी बच्चा कहकर बुला रहे हैं.
शबाना की सास नशीमा ने बताया कि, ‘भीड़ ने हमें गालियां दीं, मेरे बेट को पीटा, कुछ दंगाईयों ने मेरी बहू को भी मारा, मैं जब उसे बचाने के लिए बीच में आई तो उन्होंने मुझे भी पीटा. हमें लगा अब हम नहीं बचेंगे लेकिन अल्लाह की मेहरबानी कि हम बच गए. हम शबाना को पास के ही एक अस्पताल में ले गए. डॉक्टरों ने हमें अल-हिंद अस्पताल जाने को कहा, जहां बुधवार को बच्चे का जन्म हुआ.’
जिस घर में वो दशकों से रह रहे थे, वो जलकर ख़ाक हो चुका था. लेकिन बावजूद उसके उनके जीवन में आये इस नन्हें उपहार से पूरा परिवार ख़ुश है. नशीमा ने कहा कि उन्हें नहीं पता था कि अस्पताल से आने के बाद वो कहां जाएंगी.
‘सबकुछ जलकर ख़ाक हो गया, कुछ नहीं बचा. हो सकेगा तो किसी रिश्तेदार के घर जाएंगे और दोबारा ज़िंदगी को पटरी पर लाने की कोशिश करेंगे.’