बांग्लादेश का ऐतिहासिक फ़ैसला: मैरिज सर्टिफ़िकेट में औरतों को ख़ुद को नहीं बताना होगा ‘वर्जिन’

Sanchita Pathak

बांग्लादेश के शीर्ष अदालत (टॉप कोर्ट) ने एक ऐतिहासिक फ़ैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा है कि विवाह प्रमाण पत्र (मैरिज सर्टिफ़िकेट) में महिलाओं को ख़ुद को ‘वर्जिन’ घोषित नहीं करना होगा. महिला अधिकारों पर काम करने वाली संस्थाओं ने 5 साल लंबी क़ानूनी लड़ाई लड़ी और कोर्ट में जीत हासिल की.  

Indian Express

Times of India की रिपोर्ट के अनुसार, South Asian Countries Muslim Marriage Law के हिसाब से दुल्हन को विवाह प्रमाण पात्र में दिए गए तीन विकल्प, कुमारी(वर्जिन), विधवा या तलाक़शुदा में से किसी एक पर निशान लगाना पड़ता था. 


Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक़ रविवार को बांग्लादेश की अदालत ने सरकार को कुमारी शब्द की जगह अविवाहित शब्द लगाने का आदेश दिया. कोर्ट रूलिंगम में ये भी कहा गया कि शादी के वक़्त दूल्हे को भी ये बताना पड़ेगा कि वो अविवाहित है, तलाक़शुदा है या विधुर है. 

Wikipedia

इस ऐतिहासिक फ़ैसले पर सरकार से जुड़े किसी भी व्यक्ति का कोई बयान नहीं आया है.


इस केस में शामिल दो वक़ीलों में से एक, Aninun Nahar Siddiqua ने बताया कि ये केस 2014 का है जब बांग्लादेश के मैरिज फ़ॉर्म को बदलने के लिए Writ Petition दायर की गई थी. किसी भी स्त्री के लिए ख़ुद को ‘वर्जिन’ बताना बेहद अपमानजनक बात है और इसीलिए ये याचिका दायर की गई थी.   

Hindustan Times

Reuters को Siddiqua ने बताया, 

ये रूलिंग हमें यक़ीन दिलाती है कि हम लड़ सकते हैं और भविष्य में महिलाओं के लिए और बदलाव ला सकते हैं. 

हम उम्मीद करते हैं कि बांग्लादेश में इस फ़ैसले का स्वागत हो और महिलाओं के लिए ऐसे ही सकारात्मक बदलाव आते रहें.  

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