बेटे के इलाज का ख़र्च नहीं उठा पाने की वजह से महिला ने पहले बेटे को मारा फिर ख़ुद आत्महत्या कर ली

Sumit Gaur

बेशक सरकार अपनी तरफ़ से गरीबी हटाने के तमाम तरह के दावे कर रही हो, पर असलियत ये है कि देश का एक तबका अब भी मूलभूत संसाधनों के अभाव में जीने को मजबूर है. इसका जीता-जगाता उदाहरण हाल ही में तमिलनाडु के नामक्कल डिस्ट्रिक्ट में देखने को मिला है, जहां एक महिला अपने 6 महीने के बच्चे का इलाज न करा पाने की वजह से उसे कुंए में फेंकने के बाद ख़ुद आत्महत्या कर ली.

ख़बरों के मुताबिक, 32 वर्षीय अनबुकोड़ी के पति परिसास्वामी अपने गांव में नाई का काम करता है. कुछ दिनों पहले उनके 6 महीने का बेटा बीमार हो गया, जिसके बाद वो उसे हॉस्पिटल ले गए, जहां उसके डेंगू होने का पता चला. बच्चे के इलाज के लिए हॉस्पिटल वालों ने उसे एडमिट करने के लिया कहा, जिसका ख़र्च करीब 5 हज़ार रुपए दिन का था.

हॉस्पिटल का ख़र्च हैसियत से बाहर होने की वजह से परिसास्वामी अपनी पत्नी के साथ घर लौट आये. सुबह के करीब 3 बजे परिसास्वामी ने देखा कि उनकी पत्नी और बेटा कहीं नज़र आ रहे. इसके बाद स्वामी उन्हें ढूंढने की कोशिश करने लगे. इसी बीच स्वामी को एक पड़ोसी ने बताया कि उनकी लाश कुंए में तैर रही है. पुलिस की मदद से लाशों को बाहर निकला गया, जिसे पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

तमिलनाडु में डेंगू बुखार की वजह से करीब 27 लोग अपनी जान गवां चुके हैं. जबकि 10 हज़ार से भी ज़्यादा मामले सामने आ चुके हैं. लोगों की संख्या बढ़ने की वजह से सरकारी अस्पतालों में भी मरीज़ों को बिस्तर नहीं मिल रहे, जिसकी वजह से उन्हें प्राइवेट हॉस्पिटल्स की शरण लेनी पड़ रही है.

राज्य सरकार भी अपनी तरफ़ से लोगों को जागरूक करने और मच्छरों को भगाने के लिए 16 करोड़ रुपये विभिन्न योजनाओं पर ख़र्च कर चुकी है, पर डेंगू के मच्छरों के साथ दिक्कत ये है कि वो साफ़ पानी में भी पैदा होते हैं.

Feature Image Source: Geobeats

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