क्या आपका आधार कार्ड बन चुका है? अगर हां तो ठीक और अगर नहीं, तो इसकी आंच आपके मोबाइल नंबर पर आ सकती है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार जल्द ही सभी मोबाइल ग्राहकों को अपनी पहचान की दोबारा जांच करवानी पड़ेगी आधार कार्ड के ज़रिए.
Cellular Operators Association of India के सदस्य इस हफ़्ते इसकी प्रक्रिया पर चर्चा कर सकते हैं. भारत में 100 करोड़ से ज़्यादा मोबाइल फ़ोन उपभोक्ता हैं. इन सभी प्रीपेड और पोस्ट पेड मोबाइल नंबर्स के आधार की eKYC प्रक्रिया द्वारा जांच की जाएगी.
इस प्रक्रिया की शुरुआत से पहले सभी मोबाइल नेटवर्क कंपनियां अपने मौजूदा ग्राहकों को प्रिंट-टीवी विज्ञापनों और मेसेज के ज़रिए सुप्रीम कोर्ट के इस पुन: जांच आदेश के बारे में जानकारी और पूरी प्रक्रिया का विवरण अपनी वेबसाइट पर देंगी.
सुप्रीम कोर्ट ने इस साल फरवरी में ये आदेश दिया था कि ये एक बेहतर तरीका है सभी उपभोक्ताओं की जांच और पते का ब्योरा रखने का. जो मौजूदा ग्राहक हैं, उन सब का एक साल के अंदर दोबारा वेरिफ़िकेशन होगा. टेलिफोन विभाग ने ये सुनिश्चित किया है कि उपभोक्ता एक कॉमन तरीके से ये जांच करवा पाएंगे, जिससे लम्बी लाइन में लगे बिना उनका ये काम हो जाएगा.
COAI के डायरेक्टर जनरल राजन मैथ्यूज़ ने कहा कि-
इंडस्ट्री इस आइडिया को सपोर्ट कर रही है, पर इस पूरी प्रक्रिया में एक हज़ार करोड़ से ज़्यादा का खर्च आएगा. जिसे कंपनी को ही उठाना है, इससे नकली उपभोक्ताओं का पता चल जाएगा और उनके नंबर बंद हो जाएंगे. हम कोशिश करेंगे कि इसे एक साल के अंदर पूरा कर पाएं, नहीं तो हम इस पर और वक़्त मांगेंगे.
पुन: वेरिफ़िकेशन की eKYC प्रक्रिया शुरु करने से पहले मोबाइल कंपनी पहले उपभोक्ता के नंबर पर वेरिफ़िकेशन कोड भेजेगी, ये देखने के लिए कि वो नंबर रजिस्टर्ड ID वाले व्यक्ति के पास ही है या किसी और के पास.
eKYC प्रक्रिया होने के बाद, कंपनी अपने डाटा बेस में उसे अपडेट करने से पहले पुराने ग्राहकों से 24 घंटे के बाद दोबारा SMS के ज़रिए सुनिश्चित करेगी कि क्या उनका वेरिफ़िकेश हुआ है या नहीं. ऑपरेटर एक ही सर्विस एरिया में एक से ज़्यादा मोबाइल कनेक्शन, एक eKYC से पुन: वेरिफ़ाय कर सकते हैं, पर बहुत ज़्यादा नहीं. अगर आपने प्रीपेड से पोस्टपेड या पोस्टपेड से प्रीपेड नंबर कराया है, तो ऐसी स्थिति में आपका वेरिफ़िकेशन नहीं होगा.