स्कूल टाइम में बच्चे इतने मैच्योर नहीं होते कि उन्हें सही-ग़लत का अंदाजा हो. बचपन में हम अक्सर देखते थे प्राइवेट स्कूल के बच्चे ख़ुद को सरकारी स्कूल के बच्चों से सुपीरियर समझते थे. कभी कभी तो कुछ प्राइवेट स्कूलों के बच्चे सरकारी स्कूलों के बच्चों की ड्रेस से लेकर अंग्रेज़ी का मज़ाक तक उड़ा दिया करते थे. लेकिन आज ज़माना बदल चुका है. 21वीं सदी के बच्चे को इन सब बातों से फ़र्क नहीं पड़ता है. आज हम आपको प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले एक ऐसे बच्चे की कहानी बताने जा रहे हैं जो इस भेदभाव को दरकिनार कर सरकारी स्कूल के बच्चों को अपनी तरह ही टेक्नोलॉजी में माहिर बनाने का काम कर रहा है.
देश के प्राइवेट स्कूलों के मुक़ाबले सरकारी स्कूल आज भी शिक्षा और टेक्नोलॉजी के मामले में काफ़ी पीछे हैं. प्राइवेट स्कूलों में केवल टीचर ही नहीं, छात्र भी हर दिन नई-नई टेक्नोलॉजी से रूबरू होते रहते हैं. लेकिन देश के सरकारी स्कूल आज भी टेक्नोलॉजी के अभाव से जूझ रहे हैं. इसका एक उदाहरण हमें कोविड-19 के दौरान देखने को मिला. जब देश के सरकारी स्कूलों के केवल 8.1 प्रतिशत बच्चे ही ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल हो पाए थे.
दिल्ली के मशहूर Vasant Valley School में 12वीं कक्षा के छात्र अनंत बागरोडिया (Anant Bagrodia) पढ़ाई के साथ-साथ टेक्नोलॉजी में भी माहिर हैं. उन्हें डेटा साइंस और मशीन लर्निंग का शौक है. अनंत का मानना है कि आज के दौर में समाज में बदलाव के लिए टेक्नोलॉजी की समझ होना बेहद ज़रूरी है. इसीलिए उन्होंने टेक्नोलॉजी के अभाव से जूझ रहे दिल्ली के सरकारी स्कूलों के बच्चों को अपनी तरह टेक्नोलॉजी में माहिर बनाने की मुहिम छेड़ रखी है.
दरअसल, कोविड-19 के दौरान दिल्ली के कई सरकारी स्कूलों के छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई में दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. इन स्कूलों में ऐसे बच्चे भी पढ़ते हैं जो ग़रीबी रेखा से नीचे आते हैं. ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान स्मार्टफ़ोन नहीं होने की वजह से हज़ारों छात्रों को पढ़ाई में नुक्सान हुआ था. इस दौरान अनंत बागरोडिया की मां ने निस्वार्थ भाव से एमसीडी स्कूलों में वंचित बच्चों को पढ़ाने के लिए अपना क़ीमती समय दिया था. मां के इस नेक कार्यों ने ही अनंत को बच्चों की मदद करने के लिए प्रेरित किया.
कोरोना महामारी के दौरान अनंत बागरोडिया ने प्रिंस नाम के एक बच्चे को पढ़ाने से अपने मुहिम की शुरुआत की. इस दौरान उसने पाया कि प्रिंस को मैथ्स और इंग्लिश में बेहद कमज़ोर है. ऐसे में अनंत को लगा दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले ऐसे कई प्रिंस होंगे, जो मैथ्स और इंग्लिश के अलावा अन्य विषयों में कमज़ोर होंगे. बस फिर क्या था प्रिंस की यही कमज़ोरी अनंत की ताक़त बन गई और उसने इन वंचित बच्चों की मदद का फ़ैसला कर लिया.
अनंत बागरोडिया ने शुरुआत में अकेले ही कई बच्चों को फ़्री ट्यूशन देना शुरू किया. इसके बाद जब बच्चों की संख्या बढ़ने लगी तो उन्होंने अपनी इस मुहिम से अपने दोस्तों को भी जोड़ लिया. अब अनंत बागरोडिया ने राजधानी दिल्ली के इन वंचित बच्चों को पढ़ाने के लिए छात्र वालंटियर को जुटाने के लिए एमसीडी स्कूलों के लिए एक Volunteers App लॉन्च किया है. आज दिल्ली-एनसीआर के कई Volunteers इस ऐप के ज़रिए ग़रीब बच्चों को फ़्री में पढ़ा रहे हैं.
आज दिल्ली के कई सरकारी स्कूल अनंत बागरोडिया के इस App से जुड़े हुए हैं और हज़ारों ग़रीब छात्रों को इससे फ़्री ट्यूशन का लाभ मिल रहा है.
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