ताने सुने, आर्थिक कठिनाइयों से लड़ी… भेदभाव के ख़िलाफ़ हुंकार है LLB पास इस ट्रांसजेंडर की कहानी

Abhay Sinha

Korba Transgender Inspiring Story: ज़िंदगी तब बहुत मुश्किल हो जाती है, जब दुनिया आपकी पहचान पर ही सवाल खड़े करने लगे. जो आप हैं, उसे ज़माना समझता तो हो, मगर स्वीकारता ना हो. मज़ाक, ताने और हिकारत, इन सबके बीच सांसें भी दम तोड़ने लगती हैं. मगर बस एक हुंकार…. बस एक हुंकार भरने की देर होती है और लोग रास्ता छोड़ कर पीछे हट जाते हैं. छत्तीसगढ़ के LLB पास ट्रांसजेंडर की कहानी एक ऐसी ही हुंकार है.

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ट्रांसजेंडर होने पर गर्व है

रविंद्र नहीं रवीना पुकारिए… जी हां, कोरबा के पोड़ी-उपरोड़ा के ग्राम बैरा की रहने वाली रविंद्र उर्फ रवीना ख़ुद को इसी पहचान के साथ ज़माने से रू-ब-रू करना पसंद करती हैं. वो चार भाई-बहनों में दूसरे नंबर की हैं. (Korba Transgender Inspiring Story)

पिता शिव सिंह एक किसान हैं. वो एक सामन्य गरीब परिवार में रहीं. उनके ट्रांसजेंडर होने का लोग बहुत मज़ाक उड़ाते थे. ताने भी देते थे. मगर उन्होंने ना तो निराश होने का रास्ता अपनाया और ना ही लोगों के सामने हाथ फैलाना का. परिवार ने भी उनका हमेशा सपोर्ट किया.

ऐसे में रवीना ने पढ़ने का फ़ैसला किया. उन्होंने पसान से हाईस्‍कूल व 12वीं की परीक्षा पास की. उसके बाद पेंड्रा के कॉलेज से बीए किया.

गुमनाम चेहरों की आवाज़ बनने का किया फ़ैसला

रवीना ने बीए करने के बाद लॉ करने का फ़ैसला किया. ताकि, समाज में अस्तित्व, अस्मिता और पहचान के लिए गुमनामी में लड़ने को विवश उनके जैसे नागरिकों का वो हाथ थाम सकें. इन लोगों को विकास की मुख्य धारा में खड़ा करने के काबिल बना सकें.

उन्होंने ज्योतिभूषण विधि महाविद्यालय कोरबा में दाखिला लिया और पिछले साल ही 69 प्रतिशत अंकों के साथ LLB की डिग्री हासिल की है. उन्होंने बताया कि कमला नेहरू महाविद्यालय समिति को जैसे ही उनकी परिस्थितियों के बारे में पता चला, तो शासन की योजनाओं का त्वरित लाभ देते हुए उनकी फ़ीस भी माफ कर दी गई.

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ज्योतिभूषण विधि महाविद्यालय के शिक्षण समिति अध्यक्ष किशोर शर्मा का रवीना की जिंदगी में महत्वपूर्ण योगदान है. उन्होंने रवीना को पढ़ाई के साथ आत्मविश्वास बनाए रखने के लिए खूब प्रोत्साहित किया. उन्होंने रवीना की व्यक्तिगत तौर पर मदद भी की ताकि उनकी लॉ हो सके.

अब रवीना एक वकील बन चुकी हैं और फ़िलहाल एमए इंग्लिश की पढ़ाई कर रही हैं. उनका अगला लक्ष्य सिविल जज बनने का है. रवीना हमेशा अपने जैसे नागरिकों और पहचान और सम्मान के लिए राह ढूंढ रहे लोगों के लड़ाई लड़ने का इरादा रखती हैं.

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