देश की राजधानी दिल्ली का अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) विश्वस्तरीय और आधुनिक चिकित्सीय सुविधा के लिए दुनिया भर में काफ़ी मशहूर है. इसी वजह से देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी मरीज़ यहां अपना इलाज़ कराने आते हैं. देश-विदेश के मरीज़ों को बेहतर उपचार प्रदान करने की दिशा में अब एम्स प्रशासन ने एक और कदम आगे बढ़ा दिया है. एम्स में अब विभिन्न प्रकार की जांच के लिए अर्टिफिशियसल इंटेलिजेंस (AI) और रोबोट (Robot) की मदद ली जा रही है.
AI और Robot से हो रही है जांच
AIIMS में अर्टिफिशियसल इंटेलिजेंस (AI) क्लिनिकल, क्वॉलिटी केयर सेफ्टी आदि में काफ़ी मददगार साबित हो रहा है. इसी वजह से एम्स प्रशासन ने मरीज़ों को और बेहतर और तेज़ उपचार सुविधा मुहैया करावने की कवायद में जांच सुविधाओं में AI और Robot का इस्तेमाल शुरू कर दिया है. दरअसल, सैंपल की जांच के बाद भी डॉक्टरों को ये जानने में समय लग जाता है कि मरीज़ों को तुरंत इलाज़ की ज़रूरत है. ऐसे में AI के इस्तेमाल से ये पता चल जाता है कि किन मरीज़ों को तुरंत इलाज़ की ज़रूरत है.
12 घंटों में मिल रही 90% जांच की रिपोर्ट्स
टोटल ऑटोमेशन सिस्टम पर काम रही इस लैब में जांच का सैंपल लेने से लेकर, प्लेस करने, रिकैपिंग और रिजल्ट जारी करने तक का सारा काम रोबोटिक मशीनों और एआई के द्वारा किया जा रहा है. डिपार्टमेंट ऑफ़ लेबोरेटरी मेडिसिन के अंतर्गत आने वाली इस ‘स्मार्ट लैब’ में हर दिन 100 तरह की क़रीब 90,000 जांचें हो रही हैं और 5,000 से 6,000 सैंपल जमा किए जा रहे हैं. एआई और रोबोटिक इक्विपमेंट की वजह से डॉक्टरों और मरीज़ों को भी फ़ायदा हो रहा है. इस लैब के चलते क़रीब 50% सैंपलों की जांच रिपोर्ट महज 4 घंटे के अंदर, जबकि 90% से ज़्यादा रिपोर्ट्स सेम डे 12 घंटे के अंदर मिल रही हैं.
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की ‘स्मार्ट लैब विभाग’ के एचओडी प्रो. सुदीप दत्ता ने बताया कि, इस लैब में AI का इस्तेमाल टेस्ट रिपोर्ट्स के रिजल्ट बनाने के लिए होता है. इसके लिए रूल बेस्ड एल्गोरिदम डेवलप किया गया है, जिसके चलते लगभग 50% रिपोर्ट्स ऑटो वेलिडेट हो जाती हैं. इन्हें एक्सपर्ट को मैनुअली रिव्यू नहीं करना पड़ता. ये सभी कम क्रिटिकल या नॉन क्रिटिकल रिपोर्ट्स होती हैं, वहीं अगर कोई क्रिटिकल रिपोर्ट आती है तो उसे डॉक्टर रिव्यू करते हैं.
डॉ. दत्ता आगे कहते हैं, इस लैब में सभी सैंपल ऑटोमेटिक सिस्टम से गुजरते हैं. इनमें से क़रीब 50% रिपोर्ट्स पर डॉक्टरों को मैनुअली नहीं लगना पड़ता. इसकी वजह से डॉक्टरों का वर्क लोड कम हो रहा है और समय की भी बचत हो रही है. इसकी वजह से विशेषज्ञ डॉक्टर अन्य ज़रूरी कामों को भी देख पा रहे हैं, जिसका सीधा फ़ायदा मरीज़ों को हो रहा है. हालांकि, ये शुरुआती स्तर है लेकिन आने वाले समय में टेस्ट रिपोर्ट्स की संख्या और भी बढ़ सकती है.