Details About Chandrayaan 3 : भारत जल्द ही इतिहास रचने के लिए तैयार है, क्योंकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपना मिशन चंद्रयान 3 (Chandrayaan-3) 14 जुलाई को लॉन्च कर दिया है. ये मिशन चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) का फॉलो अप है, जिसका प्रयास चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट-लैंडिंग करने और एक रोवर तैनात करने का है. अगर ये मिशन सक्सेसफुल रहा, तो भारत भी चंद्रमा पर उतरने वाले उन विशिष्ट देशों में एक बन जाएगा. अब तक ये मील का पत्थर सिर्फ़ तीन देशों ने हासिल किया है, जिसमें यूएस, चीन और पूर्व सोविएत यूनियन शामिल हैं.
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ज़ाहिर है कि ये मिशन इतना बड़ा है, तो इससे जुड़े तमाम सवाल भी आपके मन में कौंध रहे होंगे. आइए हम आपको इस मिशन के बारे में A टू Z डीटेल और इसकी ख़ासियत के बारे में आपको बता देते हैं. (Details About Chandrayaan 3)
कब लॉन्च हुआ चंद्रयान 3?
चंद्रयान-3 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष स्टेशन (Shri Harikota Space Centre) से 2 बजकर 35 मिनट पर लॉन्च किया गया.
चंद्रमा पर कब पहुंचेगा चंद्रयान 3?
चांद तक पहुंचने के लिए चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) 3.84 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेगा. उम्मीद जताई जा रही है कि इसका लैंडर 23 या 24 अगस्त को चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर सकता है. ये लैंडर 24 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए उतरना शुरू कर देगा. चांद का ये हिस्सा सॉफ्ट लैंडिंग के लिए इसलिए चुना गया है, क्योंकि उत्तरी ध्रुव की तुलना में चांद का दक्षिणी ध्रुव बहुत बड़ा है. इसके आसपास छाया वाले क्षेत्रों में पानी की संभावना हो सकती है.
कुल कितनी लागत में बनकर तैयार हुआ चंद्रयान-3?
चंद्रयान-3 का बजट 75 मिलियन डॉलर से कम यानी 615 करोड़ रुपए के क़रीब बताया जा रहा है.
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चंद्रयान-3 बाकी भेजे गए चंद्रयान से कैसे है अलग?
दरअसल, चंद्रयान-3 के इसके प्रोपल्शन मॉड्यूल (Propulsion Module) में एक पेलोड HAbitable है. ये चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी पर रिसर्च करेगा. इसरो का कहना है कि पृथ्वी के SHAPE स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्रिक साइन (Spectro Polarimetry) का अध्ययन करने के लिए ये एक एक्सपेरिमेंटल पेलोड है. इसके अलावा प्रोपल्शन मॉड्यूल का काम लैंडर मॉड्यूल (Lander Module) लॉन्च वाहन इंजेक्शन कक्षा से लैंडर के अलग होने तक ले जाना है.
चंद्रमा पर उतरने के बाद लैंडर मॉड्यूल में मौजूद रंभा-एलपी (RAMBHA-LP) और पेलोड इसके आसपास की सतह के प्लाज्मा आयनों और इलेक्ट्रॉनों की डेंसिटी और उसके बदलावों को मापेंगे. इसके अलावा ये ध्रुवीय क्षेत्र के पास चंद्रमा की सतह की थर्मल प्रॉपर्टी की माप पूरी करेगा. साथ ही, लैंडिंग के आसपास भूकंपीयता को मापने और लुनार क्रस्ट के स्ट्रक्चर को चित्रित भी करेगा. लैंडिंग होने के बाद रोवर लैंडर मॉड्यूल से बाहर आएगा और पेलोड APXS अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर के ज़रिए चांद की सतह का अध्ययन करेगा. इससे चांद की सतह की समझ बढ़ेगी और यहां पर खनिज संरचना का अनुमान लगाया जा सकेगा.