Chandrayaan 3: चंद्रयान-3 मिशन का उत्तर प्रदेश के इस गांव से है गहरा कनेक्शन, जानिए इसके बारे में

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Chandrayaan 3 Launching Team : भारत का तीसरा मून मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) चांद पर सफ़ल लैंडिंग करके उस पर अपनी छाप छोड़ चुका है. 23 अगस्त की शाम को 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 के लैंडर ने चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की. इसकी लैंडिंग के 2 घंटे और 26 मिनट बाद लैंडर से रोवर बाहर भी आ गया है. ये रोवर छह पहियों वाला रोबोट है. वो चांद की सतह पर चलेगा. इसके पहियों पर अशोक स्तंभ की छाप है.

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देशभर में सफ़ल लैंडिंग के कुछ घंटों पहले से ही कई जगह पूजा-पाठ का दौर चल रहा था. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फ़िरोज़ाबाद (Firozabad) के टिकरी गांव में भी कुछ ऐसा ही नज़ारा था और इस ऐतिहासिक क्षण का इंतज़ार बेसब्री से किया जा रहा था. इसके पीछे उनकी एक ख़ास वजह भी थी. क्योंकि इस गांव का इस मिशन से एक ख़ास कनेक्शन है. आइए आपको इसके बारे में बताते हैं.

क्या है उत्तर प्रदेश के इस गांव का मिशन से कनेक्शन?

दरअसल, चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग टीम में इस गांव के धर्मेन्द्र यादव (Dharmendra Yadav) थे. वो इसरो में वैज्ञानिक हैं और इस मिशन की लॉन्चिंग में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई फ़िरोज़ाबाद से की है. इसके बाद वो M.Tech करने जालंधर चले गए. फिर साल 2011 में बेंगलुरु में इसरो टीम में उनका चयन हो गया था.

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डॉक्टर कलाम से मुलाक़ात ने वैज्ञानिक बनने के लिए किया प्रेरित

वैज्ञानिक धर्मेन्द्र यादव के पिता का नाम शंभू दयाल यादव है. वो बताते हैं कि उनके बेटे धर्मेन्द्र यादव की पूर्व वैज्ञानिक डॉक्टर अब्दुल कलाम से हुई मुलाक़ात ने ही उनको वैज्ञानिक बनने के लिए प्रेरित किया. उनके पिता के मुताबिक, कलाम ने धर्मेन्द्र से मिलने पर कहा कि देखो इंजीनियर तो सभी बन सकते हैं, लेकिन विज्ञान के क्षेत्र में आप सोचें, तो आप वैज्ञानिक भी बन सकते हैं. इस मुलाक़ात से धर्मेन्द्र को प्रेरणा मिली और उन्होंने वैज्ञानिक बनने की ठान ली.

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परिवार ने किया फुल सपोर्ट

धर्मेन्द्र के परिवार की आर्थिक स्थिति ज़्यादा अच्छी नहीं थी. लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपने बेटे की पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने दी. उस समय उनके पास घोड़ा-गाड़ी कुछ नहीं था, उन्होंने अपने बेटे को साइकिल से पढ़ने पहुंचाया. धर्मेन्द्र की इस उपलब्धि से उनका पूरा परिवार गदगद है. धर्मेंद्र के रिश्तेदार चंद्रवीर सिंह कहते हैं कि आजकल के बच्चे पढ़ते नहीं हैं. हम बुजुर्गों से कहते हैं कि बच्चों को ऐसी प्रेरणा दें, ताकि वो तरक्की करें. हमारा बच्चा वहां तक पहुंच गया है. आगे और भी बच्चे पहुंचें और गांव का नाम रोशन करें. क्षेत्र का नाम रोशन करें.

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