Gujrat Resident Kid Who Stayed In Sea For 26 Hours: जाको राखे साईयां मार सके ना कोय, ये गुजरात के इस हादसे ने साबित कर दिया. 29 सितंबर को सूरत (गुजरात) के डुमास तट पर 14 वर्ष का मासूम सा बच्चा अपने छोटे भाई-बहनों की जान बचाते-बचाते खुद ही पानी में बह गया. जब पूरे परिवार ने उसके वापस आने की उम्मीद छोड़ दी थी, तब एक ऐसा चमत्कार हुआ कि वो बच्चा वापस अपने परिवार के पास आ पंहुचा. चलिए इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको उस बच्चे की चमत्कारी कहानी बताते हैं.
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आइए बताते हैं उस बच्चे की कहानी जो 26 घंटो तक सुमद्र में रहा था-
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 14 वर्षीय लखन देवीपूजक अपने छोटे भाई और बहन के साथ 29 सितंबर को समुद्र तट के पास खेलने गया था, जिसके दौरान एक तेज़ लहर उठी और उसके बहाव में लखन का भाई और बहन बह गए. उन दोनों को बचाने की पूरी कोशिश करते हुए लखन ने एड़ी-चोटी का जोर लगाया और कुछ ही समय बाद दोनों को लखन किनारे पर लाने में सफ़ल रहा. लेकिन इस बहाव की चपेट में लखन आ गया और वो दूर कहीं बह गया.
लखन के चाचा ने बताया कि उसकी दादी ने वहां लोगों से खूब मदद मांगी और कुछ लोग पानी में लखन को खोजने के लिए भी उतरे थे, लेकिन उस समय तक लखन की कोई खबर नहीं मिल रही थी. साथ ही परिवार वालों ने डुमास पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई. लेकिन अब तक उस बात को 26 घंटे बीत चुके थे. दिन बीतते गए और 30 सितंबर को नवसारी जिले के भट गांव रसिक टंडेल अपने सहायकों के साथ तट से दूर एक नाव पर सवार थे और उसी दौरान उन्हें कोई नज़र आया.
मछुआरों ने नाव की दिशा बदली और उस चीज़ के पास ले जाने लगे और वो देखकर हैरान रह गए कि एक लड़का बिना नाव के सिर्फ़ एक लकड़ी के सहारे पिछले 26 घंटे से पानी में है. मछुआरों ने तुरंत उसकी ओर एक रस्सी फेंकी और उसे खींचा और नाव में बैठाया. बाद में उसे एक कप चाय, पानी, कपड़े और रजाई दी. बाद में पता चला कि जिस लकड़ी का लखन ने सहारा लिया था, वो श्री गणेश के नीचे रखी गई लकड़ी थी.
लखन ने नाविकों को अपने परिवार जनों का नंबर शेयर किया और तुरंत नाविकों ने वायरलेस की मदद से समुद्री पुलिस को सतर्क किया गया और लड़के के माता-पिता से संपर्क किया गया. बाद में धोलाई बंदरगाह के ICU टीम और एम्बुलेंस में लखन को ले जाकर एडमिट किया गया.
लखन के पिता ने कहा, “हमने उसके ज़िंदा मिलने की उम्मीद खो दी थी. हम अंतिम संस्कार करने के लिए उसके शव की तलाश करते रहे. जब हमने उसे देखा, तो हम हैरान रह गए और हम बस रो पड़े. हमने मछुआरों और अन्य लोगों से मुलाकात की और उसकी जान बचाने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया”
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