मिलिए कलियुग के ‘श्रवण कुमार’ से, जिसने दादा-दादी को कंधों पर उठाकर की 190 किमी की कांवड़ यात्रा

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Kanwar Yatra 2023: आप सभी ने बचपन में त्रेता युग के श्रवण कुमार (Shravana Kumara) की कहानी ज़रूर पढ़ी और सुनी होगी, जो अपने अंधे मां-बाप को कंधे पर उठाकर ‘सत्य की खोज’ में निकला था. श्रवण कुमार ने अपने माता-पिता को दुनिया अपने नज़रिए से दिखाई थी. बेटे की आंखों से ही बुज़ुर्ग माता-पिता दुनिया देख पाए थे. लेकिन आज हम आपको कलियुग के श्रवण कुमार से मिलाने जा रहे हैं, जो अपने बुज़ुर्ग दादा-दादी को लेकर कांवड़ यात्रा पर निकला है.

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सावन के इस पाक महीने में देशभर से कांवड़िए कांवड़ लेकर हरिद्वार की मीलों पैदल यात्रा पर निकल पड़े हैं. इन्हीं में से एक कांवड़िए ग़ाज़ियाबाद के रहने वाले राहुल सैनी (Rahul Saini) भी हैं. राहुल की ये कांवड़ यात्रा इसलिए भी ख़ास है क्योंकि वो डीजे की धुन में बाइक पर सवार होकर नहीं, बल्कि अपने बुज़ुर्ग दादा-दादी को कांवड़ पर बिठाकर हरिद्वार से ग़ाज़ियाबाद की पैदल यात्रा पर निकला है.

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दादा-दादी को कांवड़ में बिठाया

साहिबाबाद के फ़रूखनगर निवासी राहुल सैनी वैसे तो हर साल हरिद्वार से कांवड़ लेकर आते हैं, लेकिन इस बार में वो अपने 85 वर्षीय दादा धन्नू सैनी व 80 वर्षीय दादी बलबीरी सैनी को पालकी में बैठाकर कांवड़ लेकर आ रहे हैं. राहुल ने 20 जून को हरिद्वार से कांवड़ उठाई थी. वो रोजाना 5 से 6 किलोमीटर की यात्रा करते थे. इस दौरान वो दिल्ली-मेरठ मार्ग से होते हुए 16 दिन में मुरादनगर पहुंचे. इसके बाद अब पाइप लाइन मार्ग से होते हुए अपने गांव फ़रखनगर पहुंचकर शिवरात्रि पर मंदिर में जल चढ़ाया.

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राहुल सैनी ने बताया कि, ‘दादा-दादी ने काफ़ी समय पहले कहा था कि काश हम भी कांवड़ लेकर आते. लेकिन उम्र ज़्यादा होने के कारण वो पैदल चलकर कांवड़ नहीं ला सकते, ऐसे में मैंने उनकी इच्छा इच्छा पूरी करने का फ़ैसला किया. इसलिए मैं इस बार दादा-दादी को पालकी में बैठाकर कांवड़ लेकर आया हूं’.

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राहुल सैनी के दादा व दादी का कहना था कि, हम अपनी उम्र के अंतिम पड़ाव पर हैं. ऐसे में हमारे पोते ने कांवड़ लाकर के हमारी इच्छा पूरी कर दी है. भोलेनाथ ऐसा पोता सभी को दे. हम सभी श्रद्धालुओं व देशवासियों से कहना चाहते हैं कि वो सदैव अपने माता-पिता की हमेशा सेवा करें‘.

राहुल सैनी (Rahul Saini) कलयुगी श्रवण कुमार बन गए हैं. लोगों ने भी उन्हें ‘कलयुग का श्रवण कुमार’ नाम दिया है. राहुल ने दादा-दादी की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए ही ये पवित्र यात्रा शुरू की थी. आज उनकी शिव भक्त की लोग जमकर तारीफ़ कर रहे हैं.

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