Parliament Building: ‘गज’ से लेकर ‘अश्व’ तक, जानिए नए संसद भवन में बने 6 द्वारों का पौराणिक महत्व

Abhay Sinha

New Parliament Building Has Six Gates Named After Creatures: भारत के नए संसद भवन में आज यानि मंगलवार से सारा कामकाज शुरू हो गया. संसदीय कार्यवाही जारी है. नए संसद भवन को सुंदर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है. साथ ही, नए संसद भवन के भव्य प्रवेश द्वारों पर नज़र डालने पर भारत का सांस्कृतिक इतिहास पूरी तरह दिखाई देता है.

नए संसद भवन में 6 द्वार या दरवाज़े हैं. इनके नाम हैं – गज द्वार, अश्व द्वार, गरुड़ द्वार, मकर द्वार, शार्दुला द्वार और हम्सा द्वार. नए संसद भवन के पहले तीन गेट का नाम अश्व, गज और गरुड़ गेट है. ये तीनों औपचारिक द्वार हैं. इनका नाम ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार भी है. इन गेटों का इस्तेमाल उपराष्ट्रपति, स्पीकर और प्रधानमंत्री करेंगे.

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जबकि मकर, शार्दूल गेट और हंस गेट का इस्तेमाल सांसदों और पब्लिक के लिए किया जाएगा. इन सभी का नाम वास्तविक और पौराणिक प्राणियों के नाम पर रखा गया है. नए संसद भवन में सभी छह एंट्री गेट्स पर शुभ जीवों की लाल बलुआ पत्थर की मूर्तियां लगी हैं.

भारतीय संस्कृति में उनके महत्व, उनकी सौंदर्य उपस्थिति, सकारात्मक गुणों और वास्तु शास्त्र के अध्ययन के आधार पर उन्हें स्थापित किया गया है.

आइए जानते हैं नए संसद भवन के सभी 6 गेटों के बारे में-

1. गज द्वार

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ये गेट उत्तर दिशा में हैं. गज का मतलब हाथी होता है. गेट पर हाथी की दो मूर्तियां बनी हैं. हाथी बुद्धि, धन और स्मृति का प्रतिनिधित्व करता है. इसके साथ ही ये गेट निर्वाचित लोगों की आकांक्षाओं का भी प्रतीक है. गज भगवान गणेश के प्रतिनिधि हैं. इसके अलावा, उत्तर दिशा का संबंध बुध ग्रह से है, जो उच्च बुद्धि का स्रोत है.

2. अश्व द्वार

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अश्व का मतलब घोड़े से है. ये गेट दक्षिण दिशा में बना है. भारतीय संस्कृति और इतिहास में घोड़ा को शक्ति, ताकत और साहस का प्रतीक माना जाता है. शास्त्रों में इसे समृद्धि का प्रतीक माना गया है. ये गति का भी प्रतीक है. इसका मतलब है कि संसद कभी रूकेगी नहीं और जनहित में हमेशा जारी रहेगी. अश्व की प्रतिमा ओडिशा के सूर्य मंदिर से प्रेरित है.

3. गरुड़ द्वार

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गरुड़ द्वार नए संसद भवन के पूर्वी दिशा में है. गरुड़ को पक्षियों का राजा भी कहा जाता है. साथ ही, ये भगवान विष्णु का वाहन हैं. ये गेट देश के लोगों और प्रशासकों की आकांक्षाओं का प्रतीक है. शास्त्रों में गरुड़ आशा, जीत की महिमा और सफलता का प्रतिनिधित्व करते हैं. गरुड़ इस बात का प्रतीक है कि संसद लोगों की शक्ति है और जो लोग अंदर हैं वे अपने धर्म का पालन करेंगे. ये प्रतिमा तमिलनाडु में 18 वीं सदी के नायका काल से प्रभावित है.

4. मकर द्वार

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इस चौथे गेट का नाम एक पौराणिक जलीय जीव पर रखा गया है. ये आधा स्तनपायी और आधी मछली होता है. ये जीव रक्षकों से जुड़ा हुआ है और अक्सर हिंदू, बौद्ध स्मारकों में देखा जाता है. शास्त्रों में मकर को कामदेव की ध्वजा का चिन्ह बताया गया है. मकर द्वार को कर्नाटक के होयसलेसवरा मंदिर से प्रेरित बताया गया है.

5. शार्दूल द्वार

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ये पांचवा गेट भी एक पौराणिक जीव से प्रेरित है. जिसका शरीर शेर का लेकिन सिर घोड़ा, हाथी या तोते का होता है. शार्दूल को सभी जीवित प्राणियों में अग्रणी कहा जाता है, जो देश के लोगों की शक्ति का प्रतीक है. शार्दूल की मूर्ति ग्वालियर के गुजरी मंदिर से प्रेरित बताई जाती है.

6. हंस द्वार

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संसद भवन के अंदर ये छठा गेट बना है, जो कि उत्तर-पूर्व दिशा में है. हम्सा यानी हंस, देवी सरस्वती की सवारी है. ये शांति और विद्या का प्रतीक है. शांति-सद्भाव का प्रतीक है. भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक हंसावतार भी हुआ है. हंस इस बात का प्रतीक है कि संसद में ज्ञान सर्वोपरि होगा. ये कर्नाटक के हम्पी स्थित विजय विताला मंदिर से प्रेरित है.

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