बेटी को मोटिवेट करने के लिए पिता ने भी दिया NEET का एग्ज़ाम, क्या जानते हो किसके नंबर है ज़्यादा?

Vidushi

Prayagraj Doctor-Daughter duo clears NEET UG : बच्चों के करियर की टेंशन सबसे ज़्यादा मां-बाप को होती है. वो हमेशा चाहते हैं कि उनके बच्चे पढ़ाई में अव्वल रहे और ख़ूब नाम कमाएं. ज़रूरत पड़ने पर वो बच्चों को मोटिवेट करते भी नज़र आते हैं.

हालांकि, हाल ही में हमें एक अनोखा मामला देखने को मिला है. दरअसल, प्रयागराज में एक डॉक्टर ने अपनी 18 साल की बेटी को परीक्षा में मोटिवेट करने के लिए ख़ुद उसके साथ NEET UG की परीक्षा दे डाली. आइए आपको इसके बारे में बताते हैं.

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बेटी के साथ पिता ने भी दी परीक्षा

हम बात कर रहे हैं प्रयागराज में 49 साल के न्यूरो सर्जन डॉक्टर प्रकाश खेतान (Dr Prakash Khetan) और उनकी 18 साल की बेटी मिताली (Mitali) की. इन दोनों बाप-बेटी ने मेडिकल कॉलेज के लिए एंट्रेस एग्ज़ाम NEET UG की परीक्षा साथ में दी. ये परीक्षा 7 मई को हुई थी, जिसे दोनों ने पास कर लिया. हालांकि, नीट स्कोर में पिता ने बेटी को पीछे छोड़ दिया. उनके पिता के परीक्षा में 89 पर्सेंटाइल आए, वहीं उनकी बेटी ने 90 पर्सेंटाइल स्कोर किए. नंबर के आधार पर मिताली को कर्नाटक के कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिल गया.

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पेशे से डॉक्टर हैं मिताली के पिता

अगर मिताली के पिता की बात करें, तो वो पेशे से एक डॉक्टर हैं. उन्होंने 1992 में CPMT की परीक्षा पास की थी. इसके बाद उन्हें प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिला था, जहां से उन्होंने MBBS की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद 1999 में उन्होंने अपना MS पूरा किया. फिर उन्होंने 2003 में लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (King George Medical College) से न्यूरोसर्जरी में M.Ch किया. यहीं नहीं उनके नाम गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में एक रिकॉर्ड भी दर्ज है. साल 2011 में उन्होंने 8 घंटे की एक सर्जरी की थी, जिसमें आठ साल की बच्ची के दिमाग से उन्होंने 296 सिस्ट निकाले थे.

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बेटी का हौसला बढ़ाने के लिए 30 साल बाद उठाई क़िताबें

डॉक्टर प्रकाश ने अपनी बेटी को नीट की तैयारी कराने के लिए राजस्थान के कोटा भेजा था. लेकिन वहां के माहौल में वो असहज महसूस नहीं कर रही थीं, जिसके कुछ समय बाद वो घर लौट आईं. इसके बाद उन्होंने अपनी बेटी को ख़ुद से मोटिवेट करने का फ़ैसला किया. वो दिन भर काम करते थे और रात में बेटी के साथ परीक्षा की तैयारी करते थे. परीक्षा के दौरान दोनों को अलग-अलग एग्ज़ाम सेंटर मिले. पिता को शिवकुटी और बेटी ने झूंसी केंद्र में परीक्षा दी. जब जून में दोनों का रिज़ल्ट आया, तो उसे देखकर पूरे परिवार में ख़ुशी की लहर दौड़ गई.

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