हौसला हो तो ऐसा! सिक्योरिटी गार्ड की बेटी का BSF में हुआ चयन, रोज़ाना 12km साइकिल से जाती थी कोचिंग

Vidushi

Security Guard Daughter Selected In BSF : गया जिले का इमामगंज प्रखंड क्षेत्र बिहार (Bihar) का सबसे ज़्यादा नक्सल प्रभावित क्षेत्र माना जाता है. इस इलाक़े में ज़्यादातर नक्सलियों का खौफ़ है. लोगों का निर्भीक होकर घर से निकलना भी मुश्किल हो जाता है. साथ ही इलाक़े में उचित संसाधन भी नहीं हैं. लेकिन इसके बावजूद यहां की बेटियां अपने घर की चौखट लांघ कर आगे बढ़ रही हैं और देश की सेवा करने के लिए तत्पर है.

इन बेटियों में से एक नाम पूनम कुमारी (Poonam Kumari) का भी है, जिनका चयन डिफेंस सेक्टर में हो गया है. उनका चयन बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (Border Security Force) में हुआ है. उनका पूरा परिवार अपनी बेटी की सफ़लता से ख़ुश है, पर यहां तक पहुंचने में उनका सफ़र बेहद कठिनाइयों भरा था. आइए आपको इसके बारे में बताते हैं.

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बेहद संघर्षपूर्ण रहा उनका सफ़र

पूनम गया जिला मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर दूर कोठी थाना क्षेत्र के तेलवारी गांव की रहने वाली हैं. उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और जहां वो रहती हैं वहां भी ज़रूरत के मुताबिक लोगों को नहीं मिल पाता. शुरुआत से ही पूनम डिफेंस सेक्टर में जाना चाहती थीं. उनके इरादे मज़बूत थे, जिसके चलते उन्होंने अपने गांव से 12 किलोमीटर दूर कोचिंग में दाखिला लिया. रोज़ाना बस का किराए देने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे, इसलिए उन्होंने रोज़ाना कोचिंग जाने के लिए साइकिल का सहारा लिया. इस कोचिंग से पहले वो जनरल कॉम्पटीशन की तैयारी करती थीं. कोचिंग जॉइन करने के बाद वो रोज़ सुबह 9 बजे अपने गांव तेलवारी से प्रखंड मुख्यालय इमामगंज की दूरी लगभग तय करती थीं. वो रोज़ाना 12 किलोमीटर का रास्ता नाप कर अपने संस्थान पहुंचती थीं.

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पिता हैं सिक्योरिटी गार्ड

पूनम के पिता राजेश दास चेन्नई में रहते हैं और सिक्योरिटी गार्ड का काम करते हैं. वहीं उनकी गांव में होममेकर हैं और खेती-बाड़ी भी संभालती हैं. पूनम ने जब लिखित परीक्षा पास कर ली, तो उसके बाद उनके लिए फ़िज़िकल ट्रेनिंग सबसे मुश्किल चुनौती थी. इसके लिए उन्हें किसी से प्रशिक्षण की आवश्यकता थी, जिसके लिए उन्हें मोटी फ़ीस चुकानी पड़ती. लेकिन उनकी मदद के लिए इस दौरान इमामगंज के रिटायर्ड आर्मी अफ़सर मनजीत कुमार सिंह आगे आए और उन्होंने पूनम को नि:शुल्क ट्रेनिंग दी. इसके साथ ही उनके चाचा निरंजन कुमार ने भी लिखित परीक्षा से पहले उन्हें काफ़ी सहयोग दिया. अपने परिवार और मनजीत कुमार सिंह के सपोर्ट से पूनम ने हर मुश्किल का डटकर सामना किया और वो सफ़ल हुईं.

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घर में दौड़ी ख़ुशी की लहर

पूनम की इस सफ़लता से पूरा पंचायत क्षेत्र ख़ुशी से अभिभूत है. उनके परिवार वाले भी पूनम की सफ़लता से गदगद हैं. साथ ही उनके घर में बधाई देने वालों का तांता लग गया है. गया के सुदूरवर्ती इलाक़े से बेटियों का BSF में पहली बार चयन हुआ है. क्षेत्र के लोगों का मानना है कि पूनम की सफलता के बाद अन्य बेटियों में जुनून आएगा और इसी की तरह वो देश की सेवा के लिए आगे आएंगी.

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