क्यों है खिलाड़ियों और बोर्ड में टेस्ट मैच को चार दिन का करने पर टकराव? पैसों का चक्कर!

Kundan Kumar

इस भागती ज़िंदगी में एक टेस्ट क्रिकेट ही है जो अपनी दशकों पुरानी स्पीड से चल रहा है. शायद ये इकलौता खेल का फ़ॉर्मेट है, जो पांच दिनों तक चलता है फिर भी कई दफ़ा बिना किसी को विजेता घोषित किया ख़त्म हो जाता है.

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बदलते वक़्त के साथ क्रिकेट के अन्य फ़ॉर्मेट आए. वनडे, टी20 और टी10 भी खेला जाने लगा है. लेकिन टेस्ट क्रिकेट वैसा का वैसा ही है. हां, अब इसे रात में भी खेला जाने लगा है, गेंद की रंग बदल गई है, लेकिन लंबाई पांच दिनों वाली ही है. एक नई बात चली है कि पांच दिनों की वजह से दर्शक इससे दूर होते जा रहे हैं और पाचंवे दिन का ख़र्च इसके अर्थशास्त्र पर भी भारी पड़ता है.

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तो खेल प्रेमियों का मानना है कि टेस्ट मैच क्रिकेट का पवित्र फ़ॉर्मेट है. इसकी लंबाई के साथ कोई कांट-छांट करना, इसकी पवित्रता को भंग करने जैसा होगा. बहस चल रही है, उसमें कोई बुराई नहीं… नए विचारों पर बात होनी चाहिए.

जानते हैं कि खेल के जानकारों और खिलाड़ियों का चार दिन के टेस्ट मैच पर क्या कहना है.

आज टी-20 हो रहे हैं, वनडे हो रहे हैं और अब तो टी-10 भी होने लगे हैं, ऐसे में क्रिकेट के सबसे प्यूरेस्ट फॉर्म के साथ छेड़छाड़ जायज नहीं है. इसकी कोई जरूरत नहीं है.

-सचिन तेंदुलकर, पूर्व खिलाड़ी, भारत

अगर ये चार दिनों का होगा मतलब वो टेस्ट मैच होगा ही नहीं, चार दिनों का फ़र्स्ट क्लास मैच होता है. टेस्ट मैच मचलब पांच दिन.

-रोहित शर्मा, भारतीय उप-कप्तान

विज्ञापनकर्ताओं को टेस्ट क्रिकेट की ओर आकर्षित करने के लिए डे-नाइट टेस्ट मैच काफ़ी है. इसके साथ ज़रूरत से ज़्यादा छेड़छाड़ नहीं किया जाना चाहिए.

-विराट कोहली, भारतीय कप्तान

मैं पांच दिनों वाले टेस्ट मैच का फ़ैन हूं. खेल का महान ड्रा मैच पांचवे दिन ही देखने को मिलते हैं.

-फ़ाफ डुप्लेसिस, साउथ अफ़्रीका कप्तान

इस चीज़(चार दिनों का टेस्ट मैच) को आज़माया जा सकता है, शायद मैं ये बात 6-7 साल पहले नहीं कह सकता था. लेकिन खिलाड़ी पिंक बॉल के साथ भी सहज हो रहे हैं.

-रिकी पॉन्टिंग, ऑस्ट्रेलिया पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी

ये बकवास विचार है. मुझे लगता है इससे ड्रॉ मैचों की संख्या बढ़ेगी. पांचवा दिन महत्वपूर्ण होता है. पांचवे दिन स्पिनर्स को फ़ायदा मिलता है.

-वेरनॉन फिलैंडर, साउथ अफ़्रीका तेज़ गेंदबाज़

मोटा-मोटी यही बात सामने आती हैं कि खिलाड़ी चार दिनों के टेस्टे मैच के ख़िलाफ़ हैं. लेकिन क्रिकेट बोर्ड और ब्रॉडकास्टर इसके फ़ेवर में हैं. खिलाड़ियों को ऊपर खेलभावना हावी है और बोर्ड इसके आर्थिक पक्ष की ओर देख रहा है. अब देखना यह होगा कि आख़िर में कौनसा पक्ष हावी होता है.

चार दिन के टेस्ट मैच के नियमों के लेकर अभी बहुत कुछ साफ़ नहीं है. खिलाड़ियों की मांग है कि बोर्ड उनके साथ बात करके ही किसी नतीजे पर पहुंचे. 

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