कभी न कभी, कहीं न कहीं आपने और हम सबने पंजा ज़रूर लड़ाया होगा. स्कूल में, दोस्तों के साथ, मज़ाक मज़ाक में ही या धौंस दिखाने के लिए लोग अक्सर पंजा लड़ाते रहते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि ये एक खेल है, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेला जाता है.
आम जन को बस इतना पता होता है कि अपने विरोधी के हाथ पटखनी देने पर आप विजेता बन जाते हैं लेकिन इस खेल के कई नियम होते हैं. इसमें फ़ाउल का भी प्रावधान है और अलग-अलग मूव्स भी तय हैं. भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई खिलाड़ी पेशेवर तरीके से इस खेल में जुड़े होते हैं.
इतिहास
कहते हैं पहला आर्म रेसलिंग का मैच 1952 में अमेरिका के केलिफ़ॉर्निया में खेला गया था. इस मैच का आयोजन Bill Soberanes नाम के युवा पत्रकार ने कराया था. इस मैच से प्रेरित होकर इसे हर साल कराया जाने लगा. साल 1962 में वर्ल्ड आर्म रेसलिंग चैंपियनशिप की शुरुआत हुई. इस आयोजन ने सफ़लता हासिल की थी.
भारत में इस खेल का संचालन Indian Arm Wrestling Federation करता है. इसे Arm Wrestling और Wrist Wrestling नाम से जाना जाता है, दोनों में कोई अंतर नहीं होता. कुश्ती और मुक्केबाज़ी की तरह इसमें भी खिलाड़ियों को उनके वज़न के हिसाब से लड़ाया जाता है.
कुछ अहम नियम
1. हाथों से खेले जाने वाले इस खेल में पैर भी अहम होते हैं. खिलाड़ी को अपने एक पैर ज़मीन से ज़रूर लगाए रहने होते हैं, दोनों पैर हवा में होने पर फ़ाउल माना जाता है.
2. रेफ़री मैच से पहले ये सुनिश्चित करते हैं कि किसी खिलाड़ी को ग्रिप बनाने में कोई एडवांटेज न मिले, दोनों खिलाड़ी को संतुष्ट कर ही खेल की शुरुआत होती है.
3. ज़रूरी नहीं की टेबल पर हाथ लगने से ही हार-जीत का फ़ैसला होगा, दो फ़ाउल होने और डिस्क्वालिफ़ाई कर के भी मैच के अपने पक्ष में किया जा सकता है.
अब पंजा लड़ाने के बस एक खेल मत समझना!