गर्व: सिर पर पगड़ी, हाथ में गदा… भारतीय मूल का पहला MMA चैंपियन जो बढ़ा रहा हमारी संस्कृति का मान

J P Gupta

Arjan Bhullar First Indian-Origin MMA World Champion: द ग्रेट खली के बाद बहुत से रेसलर हैं जो दुनिया में अपना नाम कमाने के लिए जी-जान लगा रहे हैं. इन्हीं में से एक रेसलर हैं अर्जन सिंह भुल्लर, जिन्होंने अखाड़े से लेकर MMA World Championship की रिंग का सफ़र तय किया. 

उन्होंने MMA World Champion बन ख़ुद की काबिलियत भी साबित की. अब वो भारतीय कल्चर को दुनियाभर में प्रमोट कर इंडिया में भी MMA को भारत में लाना चाहते हैं. भारतीय मूल के MMA World Champion अर्जन सिंह भुल्लर वैसे तो कनाडा के रहने वाले हैं.

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कनाडा की तरफ से उन्होंने रेसलिंग में ओलंपिक में भी हिस्सा लिया है, लेकिन आज भी वो अपनी जड़ों से जुड़े हैं. वो सिख कम्युनिटी से ताल्लुक रखते हैं और पगड़ी पहनकर ही रिंग में उतरते हैं. इन्होंने यहां तक पहुंचने के लिए काफ़ी संघर्ष किया है. इनकी स्टोरी हर किसी को प्रेरणा देगी. 

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पिता थे पहलवान

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अर्जन सिंह का जन्म 1986 में वैंकूवर में अवतार भुल्लर के यहां हुआ था. उनके पिता एक पहलवान थे, जो पंजाब से कनाडा में जा बसे थे. पिता के साथ ही अलग-अलग चैंपियनशिप में जाने का उन्हें मौक़ा मिला. वो अखाड़े में ही उनसे रेसलिंग के गुर सीखा करते थे. पहले पिता और बाद में अर्जन के करियर के लिए उनके परिवार को काफ़ी संघर्ष करना पड़ा. यहां तक की उनके परिवार नस्लीय भेदभाव का भी सामना करना पड़ा था.

कनाडा में झेलना पड़ा नस्लीय भेदभाव

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एक ऐसे ही वाकये को याद करते हुए अर्जन कहते हैं- ’वैंकूवर में आप इंडियन कपड़े नहीं पहने और अपनी भाषा बोलने में बहुत दिक्कत आती थी. जब कोई श्वेत व्यक्ति सड़क पर चलता होता तो आप वहां चल सकते थे, तब झगड़ा होने की संभावना रहती थी. ऐसे ही एक दिन मेरे माता-पिता पर एक गोरे ने थूक दिया था, यही नहीं उनके साथ मारपीट भी की. तब से हम लोग समूह में ही निकलते थे. ये संघर्ष हमें बचपन से ही बताए गए, ताकि हम याद रखे कि कहां से ताल्लुक रखते हैं.’ 

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CWG में हिस्सा लेने दिल्ली आए थे

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बचपन से ही उन्होंने ये तय कर लिया था कि वो रेसलर बनेंगे पर अपनी पहचान, अपनी संस्कृति को कभी नहीं खोएंगे या भूलेंगे. हुआ भी ऐसा उन्होंने स्कूल से लेकर यूनिवर्सिटी तक और बाद में प्रोफ़ेशनल रेसलिंग पगड़ी के साथ ही खेली. 2010 में वो कनाडा की तरफ से CWG में हिस्सा लेने दिल्ली भी आए थे. यहां उन्हें देखने के लिए पंजाब से उनके परिवार वाले भी आए थे. इस प्रतियोगिता में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता था.

MMA Fighting

इसके दो साल बाद लंदन ओलंपिक में कनाडा को रिप्रेजेंट किया, लेकिन यहां उनके हाथ खाली रहे, वो 11वें स्थान पर पहुंचे. इतने ख़राब प्रदर्शन के बाद अर्जन सिंह ने सोचा कि उन्हें अपने करियर को लेकर कुछ तो करना होगा. वो ऐसे ही एक गुमनाम रेसलर बन नहीं रहना चाहते. फिर उन्होंने ऐसी जिम की तलाश शुरू कर दी जहां प्रोफ़ेशलन लोग ट्रेनिंग करते थे.

पगड़ी पहन उतरते हैं रिंग में

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इस तरह वो कैलिफ़ोर्निया पहुंचे और फिर UFC (Ultimate Fighting Championship) में हिस्सा लिया. यहां पर उन्होंने 4 में से सिर्फ़ एक ही फ़ाइट हारी थी. वो रिंग में पगड़ी पहनकर उतरते थे और उनके हाथ में एक गदा होती थी. अर्जन के अनुसार, उनको ये गोल्डन गदा महान भारतीय रेसलर दारा सिंह ने दी थी. वो 

2021 में जीती पहली MMA वर्ल्ड चैंपियनशिप

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UFC में पगड़ी पहनकर खेलना आयोजकों को रास नहीं आया और उनका भारतीय या भारत के में इस प्रतियोगिता को विस्तार देना का कोई प्लान नहीं था. इसलिए अर्जन यूएफ़सी से ONE चैंपियनशिप में आ गए. 2021 में उन्होंने अपनी पहली वर्ल्ड चैंपियनशिप जीती थी. वो एमएमए विश्व चैंपियन बनने वाले पहले भारतीय मूल के फाइटर हैं. फ़ाइनल मैच उन्होंने कोरोना काल के दौरान खाली स्टेडियम में खेला था.

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इस साल हुई MMA World Championship के फ़ाइनल में भले ही वो हार गए हों, लेकिन उनका इरादा अभी भी हार मानने का नहीं है. 37 वर्षीय ये रेसलर अभी संघर्ष जारी रखना चाहता है और साथ में इंडिया में भी MMA को प्रमोट करने की कोशिश में जुटा है.

MMA India

उनका कहना है-’मैं इस खेल से ख़ुश हूं. मैं एक सिख हूं, मैं भारतीय मूल का कनाडाई हूं. और अगर आपको ये पसंद नहीं है, तो हम इसके बारे में फ़ाइट कर सकते हैं. ये मेरी ज़िम्मेदारी है कि इस खेल में ऊंचाइयों को छूऊं और दूसरों के लिए नज़ीर बनू.’

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