पिछले एक दशक से पाकिस्तान में क्रिकेट बुरे दौर से गुज़र रहा है. दुनिया की कोई भी बड़ी टीम पाक दौरे पर जाने को राज़ी नहीं है. पाकिस्तान को घरेलू सीरीज़ भी शारजाह में खेलनी पड़ती है. नेशनल टीम के साथ ही पाकिस्तान की घरेलू क्रिकेट भी बुरे दौर से गुज़र रहा है.
हमेशा से ही विवादों में रहने वाले पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड से जुड़ी एक ख़बर ने अब उनकी घरेलू क्रिकेट के ढांचे की पोल खोल दी है. पीसीबी की ग़लत नीतियों के चलते पाकिस्तान के कई युवा क्रिकेटरों का भविष्य अन्धकार में है. हालात ये हो गए हैं कि उनके कई होनहार घरेलू क्रिकेटरों को जीवन-यापन के लिए दिहाड़ी मज़दूरी करनी पड़ रही है.
दरअसल, हाल ही में पीसीबी ने पाकिस्तानी क्रिकेट को नए सिरे से खड़ा करने के लिए अपने विभागीय क्रिकेट को भंग करने का फ़ैसला किया था. बोर्ड के इस फ़ैसले की चौतरफ़ा आलोचनाएं हुईं थीं. आर्थिक संकट से भी जूझ रहे पीसीबी के पास अपने ख़र्च निकालने तक के भी पैसे नहीं हैं. ऐसे में मैदान के रखरखाव और स्टाफ़ का वेतन निकाल पाना बोर्ड के लिए बेहद मुश्किल हो रहा है.
महीनों तक सैलरी नहीं मिलने से कई विभागीय क्रिकेटर अब इस खेल से ही दूर हो रहे हैं. प्रथम श्रेणी क्रिकेटर में शानदार प्रदर्शन करने वाले फ़ज़ल सुभान उन्हीं बदकिस्मत खिलाडियों में से एक है. परिवार का पेट पलने के लिए फ़जल इन दिनों टेंपो चलाने को मज़बूर है.
फ़ज़ल प्रथम श्रेणी क्रिकेट के साथ-साथ पाकिस्तान की अंडर-19 टीम और पाकिस्तान ‘ए’ टीम के अहम खिलाड़ी रह चुके हैं. एक वक़्त था जब फ़ज़ल उन शीर्ष खिलाड़ियों में शूमार थे, जो पाकिस्तान की राष्ट्रीय टीम में चुने जाने के बेहद करीब थे. लेकिन किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया.
हाल ही शोएब जट्ट नाम के एक फ़ैन ने फ़ज़ल को टेंपो चलाते हुए देख लिया था. इसके बाद शोएब ने फ़ज़ल की कहानी सोशल मीडिया पर भी शेयर की.
इस दौरान फ़ज़ल कहना था कि परिवार का पेट-पालने के लिए उन्हें क्रिकेट छोड़नी पड़ी. फ़ज़ल की माने तो वो विभागीय क्रिकेट में 1 लाख रुपये वेतन पाते थे, पर पीसीबी द्वारा उसे बंद करने के बाद वो पिकअप वाहन चलाने को मज़बूर हैं. जिससे वो 30 से 35 हज़ार रुपये ही कमा पाते हैं. कभी-कभी तो खाली हाथ घर लौटना पड़ता है.
40 प्रथम श्रेणी मैच में 32.87 की औसत से 2301 रन बनाने वाले फ़ज़ल सुभान ने 5 शतक और 11 अर्द्धशतक भी लगाए हैं.