विदेशी धरती पर भारत को पहली जीत दिलाने वाले कप्तान अजीत वाडेकर, अब हमारे बीच नहीं रहे

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भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान अजीत वाडेकर नहीं रहे. 77 साल के वाडेकर ने बुधवार (15 अगस्त) रात मुंबई स्थित जसलोक हॉस्पिटल व रिसर्च सेंटर में अंतिम सांस ली. वाडेकर के इस तरह चले जाने से क्रिकेट जगत और फ़ैन्स बेहद दुखी हैं. पीएम, राष्ट्रपति समेत क्रिकेट के कई पूर्व क्रिकेटरों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.

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1 अप्रैल, 1941 को मुंबई में जन्मे वाडेकर वही कप्तान हैं जिनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने साल 1971 में पहली बार देश से बाहर इंग्लैंड में जीत दर्ज की थी. वो सफ़ल कप्तान के साथ-साथ बाएं हाथ के बेहतरीन बल्लेबाज़ व शानदार फ़ील्डर भी थे. वो भारतीय क्रिकेट टीम के पहले ऐसे कप्तान हैं जिन्होंने लगातार 3 टेस्ट सीरीज़ जीतीं, जिनमें दो विदेशी धरती पर और एक भारत में जीती.

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अजित वाडेकर को हमेशा उनकी बेहतरीन कप्तानी के लिए याद रखा जाएगा. साल 1971 में उनको भारतीय टीम की कप्तानी सौंपी गई. इसी साल भारतीय टीम ने उनकी कप्तानी में वेस्टइंडीज़ और इंग्लैंड जैसी मज़बूत टीमों को उन्हीं के घर में हराया था. साल 1972-73 में भारत ने इंग्लैंड को उनके घर में 2-1 से हराया था.

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अजित वाडेकर 99 रन के स्कोर पर आउट होने वाले भारत के तीसरे खिलाड़ी थे

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अजित वाडेकर ने भारत के लिए 8 सालों तक क्रिकेट खेला. इस दौरान उन्होंने 37 टैस्ट मैच खेलकर 14 अर्द्धशतक और एकमात्र शतक के साथ 31.07 के औसत से 2113 रन बनाए. जबकि वाडेकर देश के लिए मात्र 2 वनडे मैच ही खेल पाये. वाडेकर को आज भी भारत के सबसे बेहतरीन स्लिप फ़ील्डरों में से एक माना जाता है.

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साल 1967-68 न्यूजीलैंड दौरा एक बल्लेबाज़ के तौर पर अजित वाडेकर के लिए शानदार रहा. इस दौरे पर उन्होंने 47.14 की औसत से कुल 330 रन बनाए. उन्होंने अपने करियर का एकमात्र शतक भी इसी दौरे पर लगाया था.

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अजित का घरेलू क्रिकेट में प्रर्दशन बेहद शानदार रहा था. 237 फ़र्स्ट-क्लास मैचों में वाडेकर ने 47 के बेहतरीन औसत से 15380 रन बनाए. साल 1966-67 में रणजी ट्रॉफी के एक मैच में उन्होंने मैसूर के ख़िलाफ़ 323 रनों की शानदार पारी खेली थी.

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अजित वाडेकर को उनके शानदार खेल के लिए भारत सरकार ने 1967 में अर्जुन अवॉर्ड और 1972 में देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पदमश्री से सम्मानति किया था.

Source: timesofindia

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