सानिया मिर्ज़ा! टेनिस कोर्ट पर हाथों में रैकेट पकड़े एक ऐसी लड़की, जिस पर 130 करोड़ हिन्दुस्तानियों को नाज़ है. सानिया आज करोड़ों भारतीयों के लिए रोल मॉडल हैं. मात्र 6 साल की उम्र में टेनिस रैकेट थामने वाली सानिया 17 साल की उम्र में बनीं विंबलडन चैंपियन बन गईं थीं.
किसी भी खेल में कोई न कोई एक रोल मॉडल होना बेहद ज़रूरी है. भारत में महिला टेनिस के लिए सानिया मिर्ज़ा से बेहतर रोल मॉडल कोई और नहीं हो सकता है. आज सानिया की वजह से हज़ारों महिला खिलाड़ियों ने हाथों में टेनिस रैकेट थाम देश का नाम रौशन करने की ठान ली है.
भारत जैसे क्रिकेट प्रेमी देश में टेनिस के प्रति क्रेज़ पैदा करने का श्रेय सानिया मिर्ज़ा को ही जाता है. सानिया की सफ़लता देख लोग अपनी बेटियों को भी टेनिस प्लेयर बनाने के सपने देखने लगे हैं. किसी भी खिलाड़ी के लिए इससे बड़ी उपलब्धि और क्या हो सकती है.
15 नवंबर 1986 को मुंबई में जन्मी सानिया मिर्ज़ा की शुरुआती पढ़ाई हैदराबाद के एनएएसआर स्कूल में हुई. सानिया के पिता इमरान मिर्ज़ा खेल रिपोर्टर थे जबकि मां नसीमा मुंबई में प्रिंटिंग व्यवसाय से जुड़ी एक कंपनी में काम करती थीं. सानिया ने पहली बार 6 साल की उम्र से ही हैदराबाद के ‘निज़ाम क्लब’ में खेलना शुरू कर दिया था. महेश भूपति के पिता और भारत के सफ़ल टेनिस प्लेयर सीके भूपति से सानिया ने शुरुआती कोचिंग ली.
सानिया 17 साल में बनीं ‘विंबलडन’ चैंपियन
सानिया मिर्ज़ा ने अपने इंटरनेशनल करियर की शुरुआत साल 1999 में मात्र 14 साल की उम्र में ‘वर्ल्ड जूनियर टेनिस चैंपियनशिप’ से की थी. साल 2003 में 17 साल की सानिया की ज़िंदगी में सबसे रोचक मोड़ तब आया जब भारत की तरफ़ से वाइल्ड कार्ड एंट्री करने के बाद उन्होंने ‘विम्बलडन’ डबल्स में जीत हासिल की. इसके बाद साल 2009 में वो भारत की तरफ़ से ‘ग्रैंड स्लैम’ जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनी थीं.
सानिया जीत चुकी हैं ये बड़े ग्रैंड स्लैम
साल 2009 में सानिया मिर्ज़ा ने महेश भूपति के साथ ‘ऑस्ट्रेलियन ओपन’ का मिक्स डबल्स ख़िताब जीता था.
सानिया मिर्ज़ा साल 2003 से 2013 तक लगातार महिला टेनिस संघ (WTA) के एकल और डबल में शीर्ष भारतीय टेनिस खिलाड़ी के रूप में अपना स्थान बनाए रखने में सफ़ल रहीं.
आज इस हैदराबादी के नाम सिंगल्स में 14 ITF जबकि 1 WTA ख़िताब हैं. वहीं डबल्स की बात करें तो सानिया के नाम 41 WTA जबकि 4 ITF ख़िताब हैं. साल 2015 में सानिया महिला युगल में दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी भी बनी थीं.
सानिया मिर्ज़ा को मिले सम्मान
साल 2005 में मात्र 16 साल की उम्र में सानिया को ‘अर्जुन पुरस्कार’ मिला था. साल 2006 में 18 साल की उम्र में उन्हें ‘पद्मश्री’ सम्मान से सम्मानित किया गया. सानिया ये सम्मान पाने वाली देश की सबसे कम उम्र की खिलाड़ी हैं. इसके बाद सानिया को साल 2015 में ‘राजीव गांधी खेल रत्न’ जबकि साल 2016 में ‘पद्म भूषण’ से भी सम्मानिया किया गया.
आख़िरकार साल 2012 में सानिया ने पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मालिक से शादी कर ली. पाकिस्तानी नागरिक से शादी के बाद भी सानिया ने भारत के लिए टेनिस खेलना जारी रखा. सानिया-शोएब का एक बेटा भी है.