M S Dhoni’s Childhood Friend Seemant Lohani: ज़िंदगी के हर मोड़ पर हममें कुछ न कुछ बदलाव आते हैं. फिर वो करियर को लेकर हों या ज़िंदगी को लेकर. मगर एक चीज़ जो कभी नहीं बदलती वो होती है सच्ची दोस्ती. सच्ची दोस्ती और दोस्त वो सहारा होते हैं जो आपको अच्छे और बुरे दोनों में सपोर्ट करते हैं. बुरे वक़्त में हिम्मत देते हैं. ऐसी ही कुछ दोस्ती है भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कैप्टन और CSK के कैप्टन महेंद्र सिंह धोनी और उनके दोस्त सीमांत लोहानी के बीच. धोनी की ज़िंदगी में सीमांत उर्फ़ चित्तू की बहुत अहम् भूमिका है. धोनी का इस मुक़ाम पर पहुंचना इतना आसान नहीं बन जाता अगर चित्तू का साथ नहीं होता.
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चलिए, सीमांत लोहानी (M S Dhoni’s Childhood Friend Seemant Lohani) के बारे में विस्तार से जानते हैं और ये क्या करते हैं इस पर भी एक नज़र डालते हैं?
एम एस धोनी के बचपन के सबसे अच्छे दोस्त सीमांत लोहानी उर्फ चित्तू एक-दूसरे को तब से जानते हैं जब से वो रांची, झारखंड (तब बिहार) में प्राथमिक विद्यालय में थे. चित्तू उन लोगों में से एक थे जो धोनी के साथ अच्छे और बुरे दोनों वक़्त में हमेशा रहे. इनका ज़िक्र धोनी की बायोपिक ‘एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी’ में भी था. इसमें धोनी की भूमिका दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने निभाई थी.
Times Of India के साथ एक इंटरव्यू के दौरान लोहानी ने बताया कि,
हम मध्यमवर्गीय परिवारों से आते हैं और उस समय हमारे पास कारें नहीं थीं. मैं धोनी की बाइक पर बैठता था और हम घूमने जाते थे. मुझे सड़क किनारे ढाबों में चिली चिकन और रोटी खाना पसंद था. ये स्कूल के बाद का समय था.
चित्तू सिर्फ़ धोनी के साथ घूमने-फिरने वाले दोस्त नहीं थे बल्कि धोनी को लोगों के दिलों में बसाने का श्रेय भी उनके अन्य दोस्तों के साथ-साथ सीमांत को भी दिया जाता है. सीमांत हर दिन परीक्षा के बाद धोनी को लेने के लिए उनके कॉलेज जाते थे फिर वहां से धोनी को स्टेट टीम की प्रैक्टिस के लिए लेकर जाते थे.
सीमांत आगे बताते हैं,
उनके नर्सरी फ़्रेंड और लंबे समय से एसोसियट होने के नाते, जो दूसरों के साथ-साथ धोनी के इंडोर्समेंट डील्स और क्रिकेट अकैडमी की भी देखभाल करते हैं. चित्तू, टीम इंडिया के पूर्व कप्तान को ‘कोहीनूर के रूप में देखते हैं. मैं आपको ये बात सिर्फ़ उसके दोस्त के तौर पर नहीं बता रहा हूं. वो सामान्य रूप से वो रत्न हैं जो लोगों की मदद करते हैं लेकिन कभी जाहिर नहीं करते हैं. यही बात धोनी को ख़ास बनाती है. वो विनम्र और ज़मीन से जुड़े इंसान हैं. वो तुम्हें हमेशा मुस्कुराने का कारण देंगे.
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धोनी के रिटायरमेंट को लेकर चित्तू ने TOI को टेलीफ़ोनिक इंटरव्यू में बताया,
केवल वही जानते हैं कि वो क्या करना चाहता हैं? उन्होंने उस दिन अपने रिटेयरमेंट की घोषणा करने का फ़ैसला किया, उस दिन न केवल स्वतंत्रता दिवस था, बल्कि उनकी मां का जन्मदिन भी था.
आपको बता दें, धोनी जब भी रांची में होते हैं तो वो सीमांत के साथ अक्सर देखा जाता है. साथ ही दोनों कई बार बिज़नेस डील्स के चलते भी देखे जाते हैं. इनकी गहरी दोस्ती ही है जो बिज़नेस को दिन पर दिन बढ़ाती जा रही है.