क्रिकेटर्स के बैट में लगाए जा रहे हैं छोटे-छोटे सेंसर, लेकिन इनका मकसद क्या है?

Vishu

पिछले कुछ सालों में क्रिकेट में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल काफ़ी तेज़ी से बढ़ा है. ड्रोन शॉट्स, स्लो मोशन रीप्ले, डीआरएस जैसी कई तकनीकों ने क्रिकेट के स्वरूप को कई मायनों में बदल कर रख दिया है.

तकनीक के इस युग में कई टीमें, मैच के लिए रणनीति भी विरोधी टीम के खिलाड़ियों की वीडियो क्लिप देखकर बनाती हैं. इन वीडियोज़ के सहारे ही उनकी कमज़ोरी और ताकत का अंदाज़ा लगाने की कोशिश की जाती है.

इंग्लैंड में खेली जा रही चैंपियंस ट्रॉफ़ी 2017 से क्रिकेट की तकनीक कई मायनों में आगे बढ़ गई है.

सेंसर्स का सस्पेंस

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इस टूर्नामेंट में खिलाड़ी अपने बैट के हैंडल पर छोटे से सेंसर का इस्तेमाल करते हुए नज़र आएंगे. टेक्नोलॉजी के क्षेत्र की महारथी कंपनी, इंटेल ने इस सेंसर को बनाया है. यह सेंसर्स खेलते समय खिलाड़ी की बैट स्पीड, बैट लिफ्ट, बैट एंगल और गेंद खेलते वक्त बैट की पोज़ीशन का डाटा सेव कर सकेंगे. इसके बाद खिलाड़ी ये आसानी से पता लगा सकेगा कि वह किसी गेंद को खेलने में कहां गलती कर रहा है.

यह सेंसर्स यह बताने में भी मददगार होंगे कि खिलाड़ी किस लेंथ की गेंद पर कब प्रहार के लिए तैयार हो रहा है और क्या वह अपना शॉट समय से पहले खेल रहा है, बाद में खेल रहा है या गेंद को सही प्रकार से मिडल कर पा रहा है.

चैंपियंस ट्रॉफ़ी में हर टीम से ज़्यादा से ज़्यादा पांच खिलाड़ी इस तकनीक का इस्तेमाल कर सकते हैं. रोहित शर्मा और रविचंद्रन अश्विन पहले ही इस तकनीक के इस्तेमाल की हामी भर चुके हैं. इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर नासिर हुसैन ने भी इस तकनीक की काफ़ी सराहना की है.

हुसैन के अनुसार, ‘अपने करियर के शुरुआती दौर में जब मैंने इंग्लैंड के लिए अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलना शुरु ही किया था, तब तक मैंने अपने आपको टीवी पर नहीं देखा था. मुझे याद है कि कैसे जमैका में आउट होने पर ज़्यॉफ़री बॉयकॉट ने मुझे डांट पिलाई थी. उन्होंने मुझसे चिल्लाते हुए कहा था, हुसैन, तुम अपने Open Bat Face से कभी रन नहीं बना पाओगे. मुझे लगता है कि ये तकनीक अगर उस समय होती तो मैं अपने करियर में काफ़ी बेहतर कर सकता था’

ड्रोन बताएगा सटीक पिच रिपोर्ट

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वहीं सेंसर्स के अलावा आईसीसी ने इस टूर्नामेंट में ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल करने का फ़ैसला किया है. इस ड्रोन का नाम इंटेल फेल्कॉन ड्रोन 8 है और इसमें एचडी और इंफ्रारेड कैमरा लगे हैं. कॉमेंटेटर जब भी पिच पर चर्चा में मशगूल होंगे तो वे ड्रोन द्वारा ली गई तस्वीरों के आधार पर ही पिच का आकलन कर पिच रिपोर्ट पेश करेंगे.

इन खास कैमरों की मदद से पिच की हर बारीकी को उजागर करने की कोशिश की जाएगी. पिच की जो तस्वीरें यह ड्रोन कैमरा लेगा, उसमें हाई क्वालिटी Visual डाटा मौजूद होता है. इससे घास की सेहत, घास पर ओस की मौजूदगी, पिच पर घास की सही स्थिति, सूखापन, रफ़, फुटमार्क आदि की सटीक जानकारी पता लगाई जा सकेगी.

उम्मीद है इन तकनीकों के आने से क्रिकेट का रोमांच कई गुना बढ़ जाएगा.

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