भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पहली कप्तान, जिन्होंने भारत की महिला क्रिकेटर्स को शिखर पर पहुंचाया

J P Gupta

Shantha Rangaswamy: अभी ज़्यादा दिन नहीं हुए हैं जब भारतीय सरज़मीं पर WPL (Women’s Premier League) के पहले सीज़न का इस साल सफल आयोजन हुआ. देश और विदेशी टूर पर भी महिला क्रिकेटर्स की चर्चा होती है, लेकिन एक दौर ऐसा भी था जब महिला क्रिकेटर्स को कोई पूछता तक नहीं था. 

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उनके दिन कैसे बहुरे और किसकी वजह से भारतीय टीवी पर महिला क्रिकेट का प्रसारण हुआ, उस महिला क्रिकेटर की कहानी हम आज आपके लिए लेकर आए हैं. 

Who Is Shantha Rangaswamy? 

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हम बात कर रहे हैं देश की पहली महिला टेस्ट क्रिकेट कप्तान शांता रंगास्वामी की. वो टेस्ट सीरीज़ जीतने वाली पहली महिला कैप्टन और BCCI से लाइफ़ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड पाने वाली पहली महिला क्रिकेटर हैं. शांता रंगास्वामी जी ने 16 टेस्ट मैच खेले और इनमें से 12 में कप्तानी की.

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19 ODI खेलने वाली रंगास्वामी जी पहली टेस्ट सेंचुरी और पहला सिक्स लगाने वाली फ़ीमेल बैटर भी हैं. 1976 में इन्हें अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. मगर इनके लिए भी क्रिकेट में नाम कमाना आसान न था. (Shantha Rangaswamy Story In Hindi)

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अनारक्षित कोच में करती थीं सफर

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1970 के दशक में जब महिला क्रिकेट संघ बना था तब भी वुमेन क्रिकेट को इतना सीरियसली नहीं लिया जाता था. रंगास्वामी जी ने इस खेल में महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए ख़ूब संघर्ष किया है. मैच ख़त्म होने के बाद महिला टीम को अपने घर लौटने की व्यवस्था स्वयं ही करनी होती थी. तब 16 लड़कियों वाली टीम को रेल के अनारक्षित कोच में सफर करना पड़ता था. रंगास्वामी ख़ुद उन्हें कोच में सामान सहित चढ़ाने और उनको टीटी से बात कर सीट दिलवाने का काम करती थीं.

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यही नहीं पहली बार जब इंडियन टीम का टेस्ट मैच टीवी पर प्रसारित हुआ वो भी इनकी ही बदौलत. दरअसल, महिला क्रिकेट टीम 1984 में  एक टेस्ट मैच के लिए दिल्ली में थी. टेस्ट मैच खेला गया और इंडियन टीम ने जीता भी, लेकिन उसका प्रसारण टीवी पर नहीं हुआ, जैसा की पुरुषों के मैचेस का होता था. ये बात हमेशा से ही रंगास्वामी जी को सालती थी. वो ये जानती थीं कि जब तक टीवी पर लोग उन्हें क्रिकेट खेलते नहीं देखेंगे तक तक वो न तो उनको जानेंगे और न ही उनको वो सुविधाएं हासिल होंगी जिसकी वो हक़दार हैं.

पीएम से बात कर शुरू करवाया महिला क्रिकेट का टीवी पर प्रसारण

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अड़चन बोर्ड भी थी जो शायद टीवी पर महिला टीम के टेस्ट मैच या किसी मैच को प्रसारित करने से हिचकिचा रही थी. ऐसे में जब रंगास्वामी को दिल्ली में जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिलने का मौक़ा मिला तो उन्होंने बिना वक़्त गंवाए बात छेड़ दी. उन्होंने आग्रह किया किया और अगले ही मैच से महिला क्रिकेट का भी प्रसारण टीवी पर होने लगा. रंगास्वामी जी की के ऐसे ही साहसी प्रयासों की वजह से ही आज भारत में महिला क्रिकेट फल-फूल रहा है. 

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उनके साथ खेलने वाली सभी महिला क्रिकेटर्स से लेकर उस दौर तक के लोगों को उनका खेल और उनके प्रयास आज भी याद हैं. रंगास्वामी जी के योगदान के बिना आज भारत में महिला क्रिकेट उस मुकाम पर कभी न पहुंच पाता जिस शिखर पर आज वो है.

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