सुनील गावस्कर: आख़िर ऐसा क्या था इस क्रिकेटर में, जो आज के युवाओं को उनके बारे में जानना चाहिए

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वर्ल्ड क्रिकेट में सुनील गावस्कर का नाम ही काफ़ी है. गावस्कर ही वो क्रिकेटर थे, जिन्होंने भारतीय क्रिकेट को विश्व भर में एक अलग पहचान दिलाई. टेस्ट क्रिकेट को असल पहचान देने वाले गावस्कर ही थे.  

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सच कहूं तो गावस्कर ने ही हम भारतीय को असल में क्रिकेट से प्यार करना सिखाया. वर्ल्ड क्रिकेट में हम भारतीयों को पहचान दिलाई. गावस्कर की वजह से ही आज दुनिया भारत को बल्लेबाज़ों का गढ़ मानता है.  

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हर दौर में एक हीरो ज़रूर होता है. सचिन, द्रविड़, गांगुली और लक्ष्मण जैसे क्रिकेटर गावस्कर को अपना हीरो मानते थे. आज सहवाग, धोनी, विराट और रोहित जैसे क्रिकेटर सचिन को अपना आदर्श मानते हैं.  

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आज के युवाओं को सुनील गावस्कर के बारे में इसलिए भी जानना ज़रूरी है क्योंकि हमने उन्हें खेलते हुए नहीं देखा. जिसने भी गावस्कर को खेलते हुए देखा, वो उन्हें आज भी सदी का सबसे बड़ा क्रिकेटर मानते हैं. गावस्कर इसके हक़दार भी हैं.  

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में आगाज़  

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सुनील गावस्कर ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलना उस वक़्त शुरू किया, जब वर्ल्ड क्रिकेट में वेस्ट इंडीज़ की तूती बोलती थी. वेस्ट इंडीज़ के तेज़ गेंदबाज़ों के आगे बल्लेबाज़ों की हवा टाइट हो जाया करती थी. लेकिन गावस्कर भी अपनी तकनीक के लिए जाने जाते है. वो अपनी तकनीकी से अच्छे से अच्छे गेंदबाज़ का खेल बिगाड़ दिया करते थे. 

वेस्टइंडीज के खिलाफ़ डेब्यू  

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सुनील गावस्कर ने 1971 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ़ ही अपना टेस्ट डेब्यू किया था. भारतीय टीम वेस्ट इंडीज के दौरे पर थी. गावस्कर को ओपनर के तौर पर टीम में शामिल किया गया था. उन्हें पोर्ट ऑफ़ स्पेन में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में खेलने का मौका मिला. उन्होंने इस मैच की पहली इनिंग में 65 रन जबकि दूसरी इनिंग में 67 रनों की पारी खेल डाली. भारत ये टेस्ट मैच 7 विकेट से जीता था.  

सीरीज़ में बनाया रिकॉर्ड  

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5 मैचों की इस टेस्ट सीरीज़ में गावस्कर ने 3 शतक और 1 दोहरे शतक के दम पर कुल 774 रन बनाये. डेब्यू टेस्ट सीरीज़ में किसी भी बल्लेबाज़ द्वारा ये आज भी रिकॉर्ड है. गावस्कर ने इस दौरान बिना हेलमेट के वेस्ट इंडीज के ख़तरनाक गेंदबाज़ों की ख़ूब पिटाई की. इंडीज के पेस अटैक के सामने गावस्कर का औसत 65.45 का था और ये ना सिर्फ उस समय, बल्कि आज के हिसाब से भी काफ़ी ज़्यादा है. 

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उस दौर में एक प्रचलन ये भी था कि अगर किसी बल्लेबाज़ ने वेस्ट इंडीज के गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ अच्छे रन बना लिए तो उसे बड़ा बल्लेबाज़ मान लिया जाता था. उस दौर में वेस्ट इंडीज के पास इस लेवल के गेंदबाज़ हुआ करते थे.   

फिर बने वर्ल्ड क्रिकेट के किंग  

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इस सीरीज़ के बाद गावस्कर रातों-रात स्टार बन गए. उन्होंने 70 से लेकर 80 के दशक तक ख़ूब रन बनाये. पूरी दुनिया में उनके नाम की तूती बोलने लगी. अब गेंदबाज़ गावस्कर से डरा करते थे. मार्च 1987 पाकिस्तान के ख़िलाफ़ खेलते हुए गावस्कर 10 हज़ार रन बनाने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज़ बने थे. इसके बाद गावस्कर टेस्ट क्रिकेट में 34 शतक लगाने वाले पहले क्रिकेटर भी बने. साल 2005 में सचिन ने उनका ये रिकॉर्ड तोड़ा था.  

आज भी क्रिकेट से गहरा नाता 

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सुनील गावस्कर 1983 में कपिल देव की कप्तानी में वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम के हिस्सा रहे हैं. क्रिकेट से सनी अब भी जुड़े हुए हैं. वो अक्सर कमेंटेटर और विश्लेषक के रूप में कई चैनलों पर नज़र आते हैं. इसके अलावा वो अक्सर लेख भी लिखते हैं.  

लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर आज अपना 70वां जन्मदिन मना रहे हैं. 

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