बात साल 1981 की है उस वक़्त अंतरर्राष्टीय क्रिकेट में वेस्ट इंडीज़ का सिक्का चलता था. उस दौर में दुनियाभर के बल्लेबाज़ वेस्ट इंडीज़ के गेंदबाज़ों से ख़ौफ़ खाते थे. ख़ौफ़ भी ऐसा कि ग्रिफ़िथ, होल्डिंग, मार्शल, एम्ब्रोस और गार्नर जैसे गेंदबाज़ों का सामना करने भर से ही बल्लेबाज़ों के पेट दुखने लगते थे.
इन धाकड़ गेंदबाज़ों के ओवर में किसी बल्लेबाज़ ने अगर एक चौके से ज़्यादा लगा दिया तो समझो उसकी ख़ैर नहीं. किसी बल्लेबाज़ ने ग़लती से भी इन्हें आंख दिखा दी तो समझो उस दिन मैदान पर किसी के सिर से खून निकलने वाला है.
आज वेस्ट इंडीज़ के इन्हीं गेंदबाज़ों में से एक ऐसे गेंदबाज़ की बात करते हैं जो मैदान पर गार्नर, मार्शल और एम्ब्रोस जितने अग्रेसिव तो नहीं थे, लेकिन दुनियाभर के बल्लेबाज़ उनकी तेज़ गेंदबाज़ी से ख़ौफ़ खाते थे. इनका नाम था माइकल होल्डिंग.
वर्ल्ड क्रिकेट में ‘Whispering Death’ के नाम से मशहूर माइकल होल्डिंग अपनी स्पीड और एक्यूरेसी के लिए जाने जाते थे. वो एकमात्र ऐसे गेंदबाज़ थे जिनकी हर गेंद पिछली वाली से तेज़ होती थी. पहली गेंद अगर 140 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से फ़ेंकी है तो अगली पांच गेंदें 150 तक का आंकड़ा छू जाती थी.
अब बात करते हैं होल्डिंग के उस ओवर की, जिसे आज भी टेस्ट क्रिकेट का सबसे बेहतरीन ओवर माना जाता है.
बात साल 1981 की है. इंग्लैंड की टीम वेस्ट इंडीज़ दौरे पर थी. सीरीज़ का तीसरा टेस्ट मैच Bridgetown में खेला जा रहा था. पहली पारी में वेस्ट इंडीज़ की टीम 265 रन पर ऑल आउट हो गई. अब बारी थी इंग्लैंड की. ग्राहम गूच और जेफ़्री बॉयकॉट की ओपनिंग जोड़ी मैदान पर थी. कुछ ओवर का खेल होने के बाद स्ट्राइक पर थे जेफ़्री बॉयकॉट और उनके गेंदबाज़ थे माइकल होल्डिंग.
कुछ ऐसा था वो ऐतिहासिक ओवर
होल्डिंग की पहली गेंद इतनी तेज़ थी कि बॉयकॉट कुछ समझ पाते गेंद उनके बैट का किनारे लेते हुए स्लिप में खड़े फ़ील्डर के बिलकुल आगे जाकर गिरी. दूसरी गेंद ऑफ़ स्टंप के करीब से जाती हुई कीपर के हाथों में जा में जा पहुंची. अब होल्डिंग की हर गेंद पहली की तुलना में तेज़ होती जा रही थी. तीसरी गेंद बॉयकॉट की थाई पर जा लगी. बस यहीं से बॉयकॉट के अंदर डर बैठ गया. इसके बाद चौथी और पांचवी गेंद उन्होंने मरते न क्या करते वाली हालत में खेली.
अब बारी थी आख़िरी गेंद की. जैसे ही होल्डिंग ने लम्बे रनअप के साथ रॉकेट की गति से गेंद फेंकी बॉयकॉट चारों खाने चित हो गए. गेंद ऑफ़ स्टंप की गिल्लियां कब बिखेर गयी बॉयकॉट को पता ही नहीं चला.
मैच की दूसरी पारी में भी होल्डिंग ने ही जेफ़्री बॉयकॉट का विकेट चटकाया था. वेस्ट इंडीज़ ये टेस्ट मैच 298 रनों से जीता था.
जेफ़्री बॉयकॉट अपने कई सारे इंटरव्यू में कह चुके हैं कि ये उनकी ज़िंदगी का सबसे मुश्किल ओवर था. टेस्ट क्रिकेट इतिहास में आज भी इस ओवर को सबसे बेहतरीन ओवर माना जाता है.