पांड्या-राहुल कॉन्ट्रोवर्सी पर काफ़ी देर से बोले राहुल द्रविड़ लेकिन क्या बोले हैं!

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पिछले कुछ समय क्रिकेट जगत में हार्दिक पांड्या-केएल राहुल विवाद ने ख़ूब सुर्खियां बटोरी हैं. टीवी शो ‘कॉफ़ी विद करन’ के दौरान महिलाओं को लेकर अभद्र टिप्पणी करने पर पांड्या और राहुल को पहले ऑस्ट्रेलिया फिर न्यूज़ीलैंड सीरीज़ से भी हाथ धोना पड़ा है. इस दौरान गावस्कर, कपिल, गांगुली, विराट और हरभजन जैसे तमाम सीनियर प्लेयर्स ने पांड्या और राहुल को ख़ूब लताड़ लगाई.

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आख़िरकार इस विवाद पर मिस्टर भरोसेमंद राहुल द्रविड़ ने भी अपनी चुप्पी तोड़ी है. इस विवाद को लेकर मीडिया पिछले काफ़ी समय से राहुल द्रविड़ से जवाब चाहती थी क्योंकि वो पांड्या और राहुल के कोच रह चुके हैं. केएल राहुल ने तो क्रिकेट की बारीकियां द्रविड़ से ही सीखी हैं. वहीं पांड्या जब इंडिया ए का हिस्सा थे द्रविड़ उस टीम के कोच हुआ करते थे.

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दरअसल, बीसीसीआई में इस समय राहुल द्रविड़ की अच्छी खासी पैठ है. टीम से जुड़े कई बड़े फ़ैसलों पर द्रविड़ से सलाह ली जाती है. ऐसे में इस मामले पर राहुल द्रविड़ का जवाब काफ़ी मायने रखता है. क्योंकि ये मामला दो युवा खिलाड़ियों के करियर का भी है.

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‘द हिंदू’ से बातचीत के दौरान द्रविड़ का कहना था कि –

 इस मामले पर ‘ओवररिएक्ट’ करने की ज़रूरत नहीं है. ऐसा नहीं है कि इससे पहले खिलाड़ियों ने ग़लती न की हो. ऐसा भी नहीं है कि ये ग़लतियां भविष्य में नहीं होंगी. हम चाहे यूथ को एजुकेट करने के लिए कितने ही प्रयास क्यों न कर लें, लेकिन हमें इस तरह के विवादों पर ओवररिएक्ट नहीं करना चाहिए.
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द्रविड़ ने आगे कहा कि है कि सभी खिलाड़ी एक जैसे बैकग्राउंड से नहीं आते हैं. ऐसे में बोर्ड और सिस्टम को कोशिश करनी चाहिए कि युवा खिलाड़ियों की काउंसलिंग की जाए और उन्हें क्या बोलना है क्या नहीं उसकी जानकारी दी जाए. खिलाड़ियों को उनकी जिम्मेदारियां बतानी होंगी. इस तरह की दिक्कतें हमेशा से ही रही हैं, लेकिन हमें युवा खिलाड़ियों को एजुकेट और गाइड करना होगा.

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जहां तक मेरा मानना है वो ये कि अगर आप देश के लिए खेल रहे हैं तो आपको ख़ुद ही जागरूक होना पड़ेगा. ड्रेसिंग रूम में सीनियर खिलाड़ियों से सीखना चाहिए कि वो किस तरह से इतने सालों से खेल की गरिमा को बनाये हुए हैं.

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जब मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया तो अपने माता-पिता और बहुत सारे कोचों को देखकर ही सब कुछ सीखा. वही मेरे रोल मॉडल रहे हैं. न तो कोई मेरे पास आकर बैठा और न ही किसी ने मुझे लेक्चर दिया. मैंने बस उन्हें ऑब्ज़र्ब किया और सीखा. सीखने का सबसे अच्छा तरीका है ड्रेसिंग रूम में अपने सीनियर्स को ऑब्ज़र्ब करना और उनसे सीखना.

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इस विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बीसीसीआई की अगली सुनवाई 25 जनवरी को है.

Source: timesnownews

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