द मेकिंग ऑफ़ विराट कोहली: कई सालों के समर्पण और एक-एक पल की मेहनत का रिज़ल्ट है फ़ौलादी विराट कोहली

Sumit Gaur

एक दौर था, जब इंडियन क्रिकेट टीम के प्लेयर मैदान पर अपनी फ़िटनेस कमियों को ले कर अकसर सुर्ख़ियों में रहा करते थे. इन प्लेयर्स की फ़िटनेस का आलम ये था कि दो-तीन मैच खेलने के बाद ही इन्हें आराम के लिए बैठा दिया जाता था. इस वजह से कई बार इंटरनेशनल मीडिया ने भारतीय टीम की खिल्ली भी उड़ाई.

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ख़ैर ये सब बीते समय की बातें हो गई हैं, क्योंकि भारतीय टीम की कमान अब एक ऐसे खिलाड़ी के हाथों में है, जिनके फ़िटनेस और स्टाइल की दुनिया दीवानी है. ये शख़्स कोई और नहीं, भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली हैं, जो सिर्फ़ क्लासिक बैटिंग के लिए ही नहीं, बल्कि उम्र के 29वें पड़ाव पर भी अपनी फ़िटनेस के लिए पहचाने जाते हैं. शायद इसी का असर है कि आज सोशल मीडिया से ले कर रियल लाइफ़ में एक बड़ा तबका विराट को अपना आदर्श मान कर उन्हें फॉलो करता है.

आज भले ही विराट दूसरे खिलाड़ियों से ज़्यादा कूल दिखाई देते हों, पर एक वक़्त था, जब ये लड़का मैदान पर छोटी-छोटी बात पर गुस्सा दिखाने लगता था. ख़ैर, वक़्त के साथ-साथ विराट ने खेल के साथ-साथ ख़ुद की पर्सनैलिटी पर काम करना शुरू किया, जिसका असर आज आप बख़ूबी देख सकते हैं. आज हम उनके इसी Transformation की कहानी लेकर आये हैं, जिनमें विराट, विराट बनते हुए दिखाई देते हैं.

अंडर 19 वर्ल्ड कप जीतने के बाद जब पहली बार विराट इंडियन टीम का हिस्सा बने थे, तो सचिन-सेहवाग और धोनी जैसे खिलाड़ियों के बीच ख़ुद को असहज महसूस करते थे. विराट का ये डर उस समय दूर हो गया, जब श्रीलंका के ख़िलाफ़ खेलते हुए उन्होंने 24 दिसंबर 2009 को 107 रनों की पारी खेली थी.

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विराट की इस शतकीय पारी के बाद टीम में उनकी जगह पक्की-सी हो गई थी, पर मैदान पर खेलते हुए कई बार उनकी विपक्षी टीम के खिलाड़ियों के साथ बहस भी हुई, जिसकी वजह से उन्हें कई बार लाइन हाज़िर भी होना पड़ा.

पर बाकि साथियों के बिगड़ते और विराट की दिनों-दिन बढ़ते फ़िटनेस लेवल ने भारतीय टीम में दोबारा उनके वापसी का रास्ता साफ़ किया. विराट फ़िटनेस की बात को उसी दिन समझ गए थे, जब भारतीय टीम के पूर्व कोच डंकन फ्लेचर ने किसी भी खेल के लिए फ़िटनेस की महत्वता बताई थी.

‘द टेलीग्राफ’ को दिए गए एक इंटरव्यू में विराट कहते हैं ‘एक बार डंकन ने मुझसे कहा था कि आपके पास कौशल हो सकता है, लेकिन अगर आपको अव्वल रहना है, तो आपका फ़िट रहना ज़रूरी है. इसके लिए आपको रेगुलर एक्सरसाइज़ करने की ज़रूरत है.’

इस दिन के बाद कोहली ने एक्सरसाइज़ को सीरियस हो कर लिया और ट्रेनिंग से ले कर खाने-पीने का एक पैटर्न बना लिया. इस पैटर्न का असर आज भी विराट कोहली की लाइफ़स्टाइल पर दिखाई देता है. इसका जीता-जगाता उदाहरण ये है कि विराट ने पिछले दो सालों के दौरान अपने पसंदीदा बटर चिकन और मटन रोल तक छोड़ दिया. इसके अलावा जिम को ले कर उन्होंने ख़ुद के साथ एक सख़्त नियम बनाया हुआ है, जिनकी तस्वीरें अकसर उनके सोशल मीडिया अकाउंट से निकल कर वेब पोर्टल्स और न्यूज़ चैनेलों की ख़बरें बनती हैं.

डंकन ने जो राह दिखाई, विराट उस पर बड़े ही धैर्य के साथ चले, पर इसके लिए उन्होंने अपनी खाने-पीने की पसंद को दबा कर उन चीज़ों का साथ लिया, जो उन्हें फ़िट बना सकती थीं. विराट इसलिए भी काबिले-तारीफ़ हैं, क्योंकि उन्होंने न सिर्फ़ अपनी ड्रीम फ़िटनेस बनाई, बल्कि उसे बनाये भी रखा.

‘विनिंग लाइक विराट : थिंक एंड सक्सीड लाइक कोहली’ नाम की किताब के लेखक अभिरूप भट्टाचार्य, विराट के बारे में कहते हैं कि ‘विराट की ये परिपक्वता सिर्फ़ फ़िटनेस में ही नहीं, बल्कि खेल के मैदान और उनकी भाषा शैली में भी दिखाई देती है. इसमें कोई शक नहीं कि विराट को सफ़लता किस्मत के दम पर नहीं, बल्कि उनकी कड़ी मेहनत और हार ना मानने वाले जुझारूपन की वजह से मिली है.’

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