टोक्यो ओलंपिक 2020(Tokyo Olympic 2020) की शुरुआत हो चुकी है. दुनियाभर के एथलीट्स इसमें हिस्सा ले रहे हैं. ओलंपिक की बात होते ही दिमाग़ में अपने देश के एथलीट्स, मेडल और ओलंपिक रिंग की तस्वीरें उमड़ने लगती हैं. ओलंपिक की 5 अलग-अलग रंगों की ये रिंग देखने में काफ़ी आकर्षक हैं, मगर इनका मतलब क्या है और इनका ओलंपिक से क्या लेना-देना है सोचा है कभी?
आओ मिलकर Olympic Rings से जुड़ी इस गुत्थी को सुलझाते हैं.
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ओलंपिक गेम्स के फ़ाउंडर Pierre de Coubertin ने इन रिंग्स को 1913 में डिज़ाइन किया था. Coubertin फ़्रांस के महान इतिहासकार, समाजशास्त्री, एथलीट और शिक्षा सुधारक थे. उन्होंने ही ओलंपिक कमेटी को सुझाव दिया था कि ये गेम्स हर बार अलग-अलग जगहों पर होने चाहिए, जहां दुनियाभर के उम्दा खिलाड़ी प्रतियोगिता करेंगे.
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इसलिए 1912 के ओलंपिक गेम्स में 5 पारंपरिक महाद्वीप अफ़्रीका, एशिया, यूरोप, ओशिनिया (ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड), और उत्तर और दक्षिण अमेरिका के खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था. अगले वर्ष इनसे प्रेरित होकर Coubertin ने इन रिंग्स को ओलंपिक गेम्स के प्रतीक के रूप में तैयार किया था.
1914 में पहले विश्व युद्ध के कारण ओलंपिक का आयोजन रद्द कर दिया गया था, लेकिन इसके प्रतीक और झंडे के रूप में इन्हें स्वीकार कर लिया गया. इन रिंग्स का इस्तेमाल पहली बार 1920 के ओलंपिक में हुआ था. इसके बाद से ही इन पांच रिंग्स को ओलंपिक के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा. बाद में IOC ने इन रिंग्स की व्याख्या करते हुए बताया कि ये ओलंपिक के वैश्विक प्रतियोगिता होने का प्रतीक हैं, जिसमें सभी महाद्वीपों के एथलीट भाग लेते हैं, इसलिए इसे ‘महाद्वीपों के प्रतीक’ के रूप में लिया जाना चाहिए.
वैसे तो इसके रंगों का किसी देश के झंडे से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन इन्हें इस तरह से चुना गया है कि इनमें सभी देशों के झंडे का रंग आ जाए. 1957 में इन रिंग्स के आकार में थोड़ा बदलाव हुआ था. तब नीचे की रिंग्स थोड़ा नीचे की गई थीं और इनमें थोड़ा अधिक स्पेस दिखने लगा था.
1986 में IOC ने इसके ग्राफ़िक्स के मानकों को अपडेट कर व्याख्या की थी कि इसकी रिंग्स का कलर कितना हल्का या गहरा होगा और इनके बीच कितना अंतर होगा. 2010 में IOC की बैठक में सबसे पहले बनाए गए प्रतीक को ही इस्तेमाल करने पर मुहर लगी थी.
तो ये था ओलंपिक रिंग्स का इतिहास, आपको ये जानकारी कैसी लगी कमेंट सेक्शन में ज़रूर बताना.