Shushila Devi के संघर्ष की कहानी: महिला सब-इंस्पेक्टर जिसने कॉमनवेल्थ में सिल्वर मेडल जीता है

Nikita Panwar

(Who Is Shushila Devi Likmabam)– बर्मिंघम में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स (Commonwealth Games) 2022 में भारत अब तक 9 मेडल्स अपने नाम कर चुका है. जिसमें सोमवार 2 अगस्त को Women’s Judo 48 किलो फाइनल्स में सुशीला देवी लिक्माबाम ने जूडो में भारत को 7वां पदक दिलवाया है. वो हेरिएट बॉनफेस (Harriet Bonface) को हराकर क्वार्टरफाइनल्स में पहुंची और दूसरे राउंड में प्रिसिल्ला मोरांद को हराकर सिल्वर मेडल अपने नाम कर लिया.


हालांकि, सुशीला देश के लिए गोल्ड मेडल जीतना चाहती थी, लेकिन क़ामयाबी उनके हाथ नहीं लग पाई. लेकिन जूडो के प्रति उनका ये जोश बचपन से ही था. चलिए आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम सुशीला देवी की ज़िन्दगी से जुड़ी कुछ ख़ास बातें बताते हैं.

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चलिए पढ़ते हैं सुशीला की ज़िन्दगी के बारे में (Who Is Sushila Devi Likmabam)- 

8 साल की उम्र से जूडो शुरू कर दिया था.

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सुशीला का जन्म 1 फ़रवरी, 1995 मणिपुर में हुआ था. जूडो उनके परिवार में काफ़ी पहले से खेलते आ रहे हैं. सुशीला ने जूडो अपने अंकल दिनित लिक्माबाम से सीखा था. 

आधे घंटे का सफ़र तय करके जूडो सीखने जाती थीं. 

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सुशीला देवी को जूडो खेलने का जज़्बा बचपन से रहा है. उनके अंकल दिनित सुशीला के बड़े भाई शिलाक्षी सिंह को स्पोर्ट्स खेलने के लिए प्रेरित करते थे. जब भी शिलाक्षी कहीं जाते थे, तो सुशीला उनका पीछा किया करती थीं. उनके बड़े भाई शिलाक्षी ने पास के Sports Authority of India (SAI) सेंटर में जूडो क्लास के लिए दाख़िला कराया. तो सुशीला अपने भाई शिलाक्षी के साथ 10 किलोमीटर साइकिल पर रोज़ जाया करती थीं. (Who Is Sushila Devi Likmabam)

उन्होंने जूडो की ट्रेनिंग बचपन से ही शुरू कर दी थी. उन्होंने (SAI) सेंटर में अपने जूडो के जज़्बे से सबको हैरान कर दिया था. जिसके बाद उन्होंने साबित्री चानू के साथ ट्रेनिंग भी ली थी. उनसे ट्रेनिंग लेने के बाद पटियाला के National Centre of Excellence में गईं. वहां जाने के बाद उन्होंने स्पोर्ट्स को करियर बनाने का ठान लिया था.

2010 में उन्होंने इंटरनेशनल डेब्यू किया था.

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सुशीला ने कॉमनवेल्थ जूनियर चैंपियनशिप 2010 में अपना इंटरनेशनल डेब्यू किया था. अपने पहले ही डेब्यू के साथ उन्होंने 48kg डिवीज़न में गोल्ड मेडल हासिल किया था. उसके बाद उन्हें Patiala’s Netaji Subhas National Institute of Sports में रिलोकेट कर दिया गया. 2010-2017 तक सुशीला ने जीवन शर्मा से ट्रेनिंग ली थी. (Who Is Sushila Devi Likmabam)

2018 में स्पोर्ट्स को त्याग ने मन बना लिया था.

सुशीला की ज़िन्दगी में ऐसा समय भी आया, जब उन्होंने 2018 में स्पोर्ट्स को छोड़ने का मन बना लिया था. एक मुक़ाबले के बाद उन्हें हैमस्ट्रिंग यानी मांसपेशी की चोट लग गयी थी. जिसकी वजह से वो 7 महीने तक बेड से नहीं उठ पाईं और Asian Games के ट्रायल में हार गईं. उन्होंने बताया-

मैं बिखर गयी थी, मुझे लगा मेरे जूडो का करियर ख़त्म हो गया है. मेरा लक्ष्य Asian Games को क्वालीफ़ाई करके Olympics के लिए तैयारी करने का था. मेरा दिल टूट गया था और मैं 3 महीने के लिए अपने घर चली गई थी.

27 वर्षीय सुशीला ने 2014 कॉमनवेल्थ गेम्स (गलस्गो) में 48kg डिवीज़न में सिल्वर मेडल जीता था. जिसके बाद उन्होंने 2019 में Asian Open (Hong Kong) में सुशीला को सिल्वर मेडल हाथ लगा. उसी वर्ष South Asian Games में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता था. (Who Is Sushila Devi Likmabam)

सुशीला ने 2017 में मणिपुर पुलिस में भर्ती हुई थीं.

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सुशीला ने 2017 में मणिपुर पुलिस में भर्ती हुई थी. लेकिन भर्ती होने से पहले ही सुशीला 2014 में CWG में मेडल जीत चुकी थी. कई मौक़े छोड़ने के बाद भी उन्होंने Tokyo Olympics 2020 में क्वालीफ़ाई हो गई थीं. इसी के साथ वो भारत की अकेली जूडो प्रतिभागी बनी थीं.

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