भारत में अगर फ़ुटबॉल का ज़िक्र हो, सीधा ध्यान देश के पूर्वी हिस्से पर जाता है. बंगाल, मणिपुर, असम जैसे राज्यों से ही अक्सर हमने देश की फ़ुटबॉल टीम के खिलाड़ियों को शिखर पर पहुंचते देखा है.
लेकिन क्या आप जानते हैं, जहां अपने देश में क्रिकेट की पूजा की जाती है, क्रिकेट खिलाड़ियों को भगवान माना जाता है. उस देश में ऐसा भी राज्य है जहां का एक गांव फ़ुटबॉल की पूजा करता है.
सुन कर थोड़ा हैरान हुए क्या? हुए होंगे!! क्योंकि हमें भी हैरानी हुई थी. राजस्थान के उदयपुर ज़िले का गांव जावर माइंस वो गांव है जहां फ़ुटबॉल की पूजा की जाती है. वहां फ़ुटबॉल मैदान पर मैच कोई भी हो, पूरा गांव और न सिर्फ़ गांव, बल्कि आस-पास के कई गांव के लोग उस मैच को देखने आते हैं.
जवार में कुल 200 घर हैं और हर घर में फ़ुटबॉल का क्रेज़ सिर चढ़ कर बोलता है. लगातार 42 साल से ये गांव मोहन कुमार मंगलम फ़ुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन करवाता है. इस टूर्नामेंट के कारण गांव के 172 लोगों को सरकारी नौकरियां मिली हैं, गांव वाले बताते हैं कि पढ़ाई से ज़्यादा फ़ुटबॉल खेलने से लोगों को ये नौकरियां हासिल हुई हैं, जवार गांव में ये सिर्फ़ एक खेल नहीं, बल्कि धर्म है और इस गांव के लोग इस खेल को पूजते हैं.
गांव वाले बताते हैं कि कभी इस टूर्नामेंट में सिर्फ़ गिनी-चुनी टीमें आती थीं, लेकिन अब एयरफोर्स, आर्मी, रेलवेज़, बैंक, पुलिस जैसी टीमें भी इसमें हिस्सा लेती हैं. ख़ास बात ये भी है कि इस टूर्नामेंट को देखने के लिए पुरूषों से ज़्यादा महिलाएं और बच्चे पहुंचते हैं और टूर्नामेंट के दौरान यहां मेले जैसा माहौल बना होता है.
ये गांव मिसाल है उन लोगों के लिए जो अपनी ताक़त पर नहीं, बल्कि अपनी कमज़ोरी पर भरोसा कर के घर बैठते हैं. इस गांव ने साबित किया है कि जहां कुछ करने की चाह हो, वहां कोई भी राह नामुमकिन नहीं होती.