जानते हो ट्रैक्टर के अगले और पिछले टायर छोटे-बड़े क्यों होते हैं? ये है असल वजह

Maahi

ट्रैक्टर (Tractor) के पिछले टायर बड़े और अगले टायर छोटे होने का कारण समझने के पहले ये समझना ज़रूरी है कि आख़िर ट्रैक्टर होता क्या है और ये अन्य वाहनों से कैसे अलग है? दरअसल, ट्रैक्टर ‘ट्रैक्शन’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ है खींचना. इसीलिए ट्रैक्टर को भारी भरकम बोझ उठाने के लिए जाना जाता है.

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आम तौर पर लोगों के बीच बड़ी ग़लतफ़हमी है कि ट्रैक्टर का इंजन बेहद शक्तिशाली होता है. लेकिन ये सच नहीं है. ट्रैक्टर भारी भरकम चीज़ खींचने में सक्षम तो होता है इसका मतलब ये नहीं कि इसका इंजन शक्तिशाली ही हो. यहां तक कि एक साधारण सी कार का इंजन भी ट्रैक्टर के इंजन से अधिक शक्तिशाली होता है. बावजूद इसके ‘कार’ की तुलना में ‘ट्रैक्टर’ अपनी क्षमता से कहीं अधिक भार आसानी से खींच सकता है.

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आख़िर इसके पीछे की वजह क्या है?  

अगर एक सामान्य कार और ट्रैक्टर की तुलना करें तो ‘ट्रैक्टर’ के इंजन की क्षमता ‘कार’ के इंजन का मात्र 2 तिहाई ही होती है, लेकिन ट्रैक्टर में टॉर्क (पहिया घुमाने या खींचने की क्षमता) डेढ़ गुणा अधिक होती है. गियर की सहायता से ट्रैक्टर की स्पीड कम करके ये कार की तुलना में अधिक ट्रैक्शन या टार्क पैदा करता है. यही टार्क ट्रैक्टर में लोड खीचने का काम करता है. ट्रैक्टर के खींचने वाले बल को ‘ट्रैक्शन’ कहते हैं. 

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ट्रैक्टर में पिछले टायर बड़े लगाने का कारण 

दरअसल, कार या फिर बाइक के मुक़ाबले ट्रैक्टर कीचड़ या फिर मिट्टी में आसानी से काम करता है. ग्रिप या ट्रैक्शन कम होने के कारण कार और बाइक कीचड़ में फिसलने लगती हैं या फंस जाती हैं, लेकिन पिछले टायर बड़े होने के चलते ट्रैक्टर आसानी से निकल जाता है. ट्रैक्टर में पीछे बड़े टायर लगाने से टायर कीचड़ में धंसता नहीं है और अच्छी पकड़ बनाए रखता है.

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ट्रैक्टर में अगले टायर छोटे लगाने का कारण 

अगले पहिये छोटे लगाने से ट्रैक्टर को मोड़ पर घुमाने में आसानी होती है. किसी भी ट्रैक्टर के लिए ऐसा करना बेहद ज़रूरी होता है क्योंकि ट्रैक्टर को अलग तरीके के काम (जोतना, बोना तथा फ़सल काटना) करने के लिये बहुत क्षेत्रफल में घूमना पड़ता है. अगले पहिये छोटे होने से खेतों में काम करते समय आगे देखने में भी आसानी होती है. इसीलिए ट्रैक्टर में अगले टायर छोटे लगाए जाते हैं.

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दरअसल, ट्रैक्टर का इंजन आगे होता है इसलिये वेट को बैलेंस करने के लिये बड़े पहिये लगाना ज़रूरी होता है. बड़े टायर लगाने से एक और फायदा है क़ि जब लोड को खीचना होता है तो ट्रैक्टर आगे से उठता नहीं है.

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पिछले कुछ सालों मार्किट में ऐसे ट्रैक्टर भी आ चुके हैं, जिनके अगले और पिछले टायर सामान आकर के होते हैं. इस तरह के ट्रैक्टर में चारों टायर बड़े आकार के लगाये लगाए जाते हैं. इस दौरान चारों टायरों में पावर की वजह से ट्रैक्टर को ‘ट्रैक्शन’ भी अच्छा मिलता है जिसकी वजह से वो मुश्किल से मुश्किल जगहों पर भी फंसता नहीं है. 

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