Lockheed U-2: पिछले 65 सालों से उड़ रहा वो जासूसी विमान जिसकी जगह ड्रोन और सैटेलाइट भी नहीं ले पाए

Dhirendra Kumar

अपनी लम्बाई से क़रीब दोगुना चौड़ा, Lockheed U-2 नाम का जासूसी प्लेन अमेरिकी एयर फ़ोर्स के सबसे विशिष्ट विमानों में से एक है. उड़ाने में ये विमान इतना ख़तरनाक है कि इसका नाम रखा गया है – ‘The Dragon Lady’.

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70,000 फ़ीट या उससे अधिक ऊंचाई पर उड़ने वाली ‘Dragon Lady’ अपनी तरह का अनूठा विमान है, जो पिछले 65 सालों से जासूसी मिशनों पर जा रहा है. इस ऊंचाई पर पायलट, पायलट की तरह कम और अंतरिक्ष यात्री की तरह ज़्यादा अनुभव करता है. इस ऊंचाई पर आसमान में Lockheed U-2 काफ़ी हद तक अकेला होता है.

इस जासूसी विमानों में लगे बेहद शक्तिशाली इंजन, 19 मीटर लंबे ग्लाइडर जैसे पंख और टॉप क्लास एवियोनिक्स का केवल मकसद है- विमान को धरती से क़रीब 21 KM ऊपर उड़ सकने लायक बनाना और घंटों इस ऊंचाई पर रख पाना.

Lockheed Martin

U-2 के Pressurised कॉकपिट में स्पेशल हेलमेट लगाए और भारी-भरकम प्रेशर सूट पहने पायलट 100% ऑक्सीजन लेते हैं. उनके सूट में स्पेस सूट जैसी कुछ विशेषताएं भी होती हैं. इतनी ऊंचाई पर विमान उड़ाना इतना ख़तरनाक होता है कि पायलट इसे Coffin Corner का नाम देते हैं. यहां एक छोटी-सी ग़लती बड़े हादसे हादसा का रूप ले सकती है.

मिशन के हिसाब से इस विमान में अलग-अलग तरह के सेंसर, रडार, कैमरा और दूसरे संचार उपकरण लगाए जाते हैं. Modular Design की बदौलत इन सभी चीज़ों को प्लेन में Plug-in और Plug-out किया जा सकता है. 

Lockheed Martin

इस सब के बावज़ूद U-2 का हल्का डिज़ाइन विमान की लैंडिंग के वक़्त मुश्किलें भी पैदा करता है. कॉकपिट से विज़िब्लिटी इतनी कम होती है कि विमान को उतारते समय विमान के पायलट को दूसरे U-2 पायलट के निर्देशों पर भरोसा करना पड़ता है, जो कि विमान की लैंडिंग के समय रनवे पर दौड़ती हुई एक Chase कार में मौज़ूद होता है और पायलट को निर्देश देता रहता है.

ये विमान अमेरिका और सोवियत यूनियन के बीच हुए शीत युद्ध के परिणामस्वरूप अस्तित्व में आया था. 1950 के दशक में जब अमेरिका को सोवियत यूनियन में जासूसी करने में काफ़ी दिक्कतें पेश आ रही थी, तब अमेरिकी राष्ट्रपति ने बहुत ऊंचाई पर उड़ सकने वाले जासूसी विमान बनाने का आदेश दिया था. 

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वक़्त बीतने के साथ इसे अपग्रेड भी किया जाता रहा. सबके अंदाज़े के विपरीत ये नए से नए सर्विलांस तकनीक को भी चकमा देने में कामयाब रहा. अमेरिकी वायु सेना में अभी 31 U-2 कार्यरत हैं, जिनका 50 मिलियन डॉलर्स की लागत से अपग्रडेशन होना है. इसके बाद ये अगले 30 सालों तक सेवा में रहेंगे.   

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अब ड्रोन इसे टक्कर देने की कोशिश कर रहें हैं मगर इतनी ऊंचाई पर पायलट से लैस U-2 का फ़िलहाल कोई जोड़ा नहीं है.

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