भारत में जब कोई लड़की शादी करती है, तो उसे हल्दी लगाते हैं. बैगराउंड में दोस्त-यार-परिवार ‘बन्नो तेरी अंखियां सुरमेदानी’ गाते हैं. एकआद बहुत ज़्यादा ख़ुश जाए, तो गुलाब जल वगैरह भी छिड़क डालते हैं. मगर दुनियाभर में ऐसा नहीं होता. ख़ासतौर से उत्तर पश्चिमी स्कॉटलैंड (North West Scotland) में तो बिल्कुल भी नहीं. यहां तो होने वाली दुल्हन को हल्दी की जगह कालिख पोती जाती है. दोस्त-परिवार के लोग गुलाब जल की जगह दुल्हन को कीचड़ से नहलाते हैं.
ये अजीब प्रथा (Weird Marriage Custom) यहां के कुछ ग्रामीण इलाक़ों में बरसों से चली आ रही है. शादी के कुछ हफ़्तों पहले ही इस प्रथा की शुरुआात हो जाती है. कहीं-कहीं दूल्हा भी इस प्रथा का शिकार होता है. हालांकि, ज़्यादातर दुल्हन को ही कालिख पोती जाती है. मगर सवाल ये है कि आख़िर ऐसा होता है क्यों है और कैसे इस प्रथा की शुरुआत हुई?
ये भी पढ़ें: क्या आपने कभी दूसरों की पत्नियां चुराने वाले त्योहार के बारे में सुना है?
न सज़ा है न मज़ा, ये तो है बस एक गुड लक की प्रथा
जी हां, उत्तर पश्चिमी स्कॉटलैंड के कुछ ग्रामीण इलाक़ों में लोग गुड लक के तौर पर इस प्रथा का पालन करते हैं. इसमें शादी से कुछ हफ़्ते पहले दुल्हन पर कालिख पोती जाती है. उसे कीचड़ और गंदगी से नहलाया जाता है. इस प्रथा को ब्लैकनिंग (Blackening the Bride) कहा जाता है.
इस प्रथा के पीछे मान्यता ये है कि ऐसा करने से दुल्हन की क़िस्मत चमक जाएगी. दूल्हा-दुल्हन की ज़िंदगी में कभी कोई परेशानी नहीं आएगी. दोनों ख़ुशहालज जीवन बसर करेंगे. साथ ही, इसके पीछे एक मैसज भी है कि शादी में सिर्फ़ अच्छा ही अच्छा हो, ये ज़रूरी नहीं है. वक़्त अपने साथ कई मुश्किल दौर भी लाता है. ऐसे में उनका डटकर सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए.
19वीं सदी में हुई इस प्रथा की शुरुआत
University of Aberdeen की एक रिसर्चर Dr. Sheila Young के मुताबिक, इस प्रथा की शुरुआात 19वीं सदी में हुई थी. उस वक़्त शादी से पहले महिलाओं के पैर साफ़ करने के लिए चिमनी की कालिख का इस्तेमाल होता था. कालिख को पैर पर लगाकार साफ़ किया जाता था.