भारत का वो अनोखा मंदिर, जहां 1000 साल से हो रही बिल्लियों की पूजा

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हिंदू धर्म हमेशा से ही पशुओं को देवी-देवताओं की सवारी के रूप में दर्शाया गया है. भारत में आज भी देवी-देवताओं के प्रतीक चिह्न और सवारी के रूप में इन जानवरों को अहमियत दी जाती है. गणेश जी की सवारी चूहा, दुर्गा मां की सवारी शेर, ब्रह्मा जी की सवारी सात हंस, इन्द्र भगवान की सवारी हाथी, भगवान कार्तिक की सवारी मोर है. वहीं लक्ष्मी मां की सवारी ‘उल्लू’ को माना जाता है. बिल्ली एक एकमात्र ऐसा पालतू जानवर है जिसे अशुभता का प्रतीक माना जाता रहा है. लेकिन देश में एक जगह ऐसी भी है जहां बिल्लियों की पूजा की जाती है.

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भारत में आज भी बिल्ली (Cat) का रास्ता काटना अशुभ माना जाता है. कई लोग बिल्ली के रास्ता काटने पर ख़ुद का रास्ता तक बदल लेते हैं. ये अंधविश्वास देश में सदियों से चला आ रहा है. सिर्फ़ इतना ही नहीं, कई लोग तो बिल्ली की आवाज़ निकालने को भी अशुभ मानते हैं. लेकिन देश का एक ऐसा गांव ऐसा भी है जहां ‘बिल्ली’ की पूजा होती है. इस गांव में एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां बिल्ली की पूजा की जाती है. इस मंदिर में पिछले 1000 सालों से बिल्ली की पूजा की जा रही है.

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कर्नाटक के मांड्या ज़िले में स्थित इस गांव का नाम बेक्कालेले है. गांव का नाम कन्नड़ शब्द ‘बेक्कू’ से लिया गया है, जिसका अर्थ ‘बिल्ली’ होता है. इस गांव के लोग बिल्ली को देवी का अवतार मानते हैं और विधि-विधान से उसकी पूजा करते हैं. दरअसल, इस गांव के लोग बिल्ली को ‘देवी मंगम्मा’ का रूप मानते हैं.

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भारत में यहां बिल्ली की पूजा की जाती है

बेक्कालेले गांव में एक मंदिर है जहां पिछले 1000 साल से हो बिल्लियों की पूजा होती आ रही है. इस गांव के लोग बिल्ली को ‘देवी मंगम्मा’ का रूप मानते हैं, जिसे वो अपनी कुलदेवी भी कहते हैं. इस गांव में अगर कोई बिल्ली को नुकसान पहुंचाता है तो उसे गांव से निकाल दिया जाता है. साथ ही बिल्ली की मौत के बाद उसे पूरे रीति-रिवाजों के साथ दफ़नाया भी जाता है.

आख़िर क्यों है ऐसी मान्यता?

पौराणिक कथाओं के मुताबिक़, सैकड़ों साल पहले ये गांव बुरी ताक़तों से परेशान था. इस दौरान ‘देवी मंगम्मा’ ने ‘बिल्ली’ का रूप धारण गांव में प्रवेश किया और ग्रामीणों को बुरी ताकतों से बचाया था. बिल्ली के रूप में अपनी शक्तियां दिखाकर ‘देवी मंगम्मा’ ग़ायब हो गई थीं और उस जगह पर एक निशान छोड़ गईं. बाद में उस स्थान पर एक ‘बांबी’ यानि ‘मंदिर’ का निर्माण किया गया. तभी से यहां के लोग ‘बिल्ली’ की पूजा करते हैं. स्थानीय लोग आज भी ‘बिल्ली’ पर विश्वास करते हैं और उसे भगवान की तरह पूजते हैं.

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बिल्ली को कष्ट पहुंचाने वाले का गांव निकाला 

बेक्कालेले गांव के लोग ‘बिल्ली’ की रक्षा करने में विश्वास रखते हैं. अगर गांव में कोई बिल्ली को नुकसान पहुंचाता है तो उसे गांव से निकाल दिया जाता है. साथ ही बिल्ली की मौत होने पर उसे पूरे रीति-रिवाजों के साथ दफ़नाया जाता है. इस गांव में हर साल ‘देवी मंगम्मा’ का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. 

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