गुजरात के वो 3 गांव जहां दूल्हा अपनी ही शादी में नहीं जाता, बहुत ही अनोखी है ये परंपरा

Kratika Nigam

Gujarat Weird Wedding Tradition: भारत के घरों में अगर लड़के की शादी है तो दूल्हे से ज़्यादा तो उसके घरवाले उत्सुक होते हैं. दूल्हे की बारात लेकर जाने का मतलब है कि वो कही के तुर्रमख़ान हैं और लड़की वालों को उनके कहे अनुसार ही चलना पड़ेगा. घरवाले बारात के लिए गाजे-बाजे, कपड़े, घोड़ी, गाड़ी और न जाने क्या-क्या तैयारियां करते हैं इतना ही नहीं हर चीज़ बेस्ट से बेस्ट होनी चाहिए फिर बड़े ही शान-ओ-शौक़त से दूल्हा अपनी दुल्हन को ब्याहने निकलता है. बारात में डांस होता है मस्ती होती है. मगर गुजरात के कुछ गांव में इसके बिल्कुल विपरीत होता है यहां दूल्हा अपनी ही शादी में नहीं जाता है.

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अब आप सोच रहे होंगे अगर दूल्हा नहीं जाता है तो शादी कैसे होती है? और इतना अजीबो-ग़रीब रीति-रिवाज़ (Gujarat Weird Wedding Tradition) आख़िर मनाया ही क्यों जाता है? तो सारे सवालों का जवाब ये रहा.

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ऐसा गुजरात के 3 आदिवासी गांवों में होता है रिपोर्ट्स के अनुसार,

सुरखेड़ा, सानदा और अंबल गांवों के ग्राम देवता कुंवारे हैं. इसलिए दूल्हा अपनी शादी में न जाकर उनके प्रति सम्मान व्यक्त करता है. कहते हैं कि, जो दूल्हे अपनी बारात में नहीं जाते वो सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत करते हैं.

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दूल्हे की जगह अपनी भाभी को लेने दूल्हे की बहन जाती है और उसे सिंदूर भरकर लेकर आती है दूल्हा घर पर ही शेरवानी-साफा पहनकर अपनी मां के साथ दुल्हन का घर पर ही इंतज़ार करता है. अगर दूल्हे की बहन नहीं होती है तो परिवार की कोई भी कुंवारी लड़की इस रीति-रिवाज़ को पूरा करती है. सिंदूर भरने के अलावा, शादी के पवित्र फेरों के भी बहन के द्वारा ही पूरा किया जाता है.

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स्थानीय लोगों का मानना है कि, जब-जब इस परंपरा को नहीं निभाया गया है तब-तब गांव और लोगों के साथ बुरा ही हुआ है जैसे, शादी का टूटना या फिर वैवाहिक जीवन में ख़ुशियां न होना.

आपको बता दें, रीति-रिवाज़ों का मनाना ज़रूरी है और हर किसी का अपना मत है कि किसी को लगता है कि रीति-रिवाज़ निभाना बुरा होता है किसी के लिए रीति-रिवाज़ कुछ भी नहीं है. इसलिए हमारा उद्देश्य आपको अजीबो-ग़रीब रीति-रिवाज़ से रू-ब-रू कराना था न कि किसी भी तरह का अंधविश्वास फैलाना.

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