दुनिया की वो रहस्यमयी घाटी जहां अपने आप चलते हैं पत्थर, वैज्ञानिकों ने कही चौंका देने वाली बातें

Nripendra

इस दुनिया को अजीबो-ग़रीब इसलिए भी कहा जाता है कि क्योंकि यहां ख़ूबसूरत चीज़ों के अलावा, कई ऐसे रहस्य भी मौजूद हैं, जिनकी गुत्थी वैज्ञानिक तक सुलझा नहीं पाए हैं. आपने भी ऐसे कई रहस्ययमी क़िस्सों के बारे में सुना होगा. इसी क्रम में हम आपको उस रहस्ययमी घाटी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां पत्थर अपने आप चलते हैं. आइये, जानते हैं कि क्या है इस रहस्यमयी घाटी की पूरी कहानी.  

मौत की घाटी  

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पूर्वी कैर्लीफ़ोनिया में मौजूद डेजर्ट वैली को देथ वैली यानी मौत की घाटी भी कहा जाता है. ये जगह गर्मियों के दौरान दुनिया के सबसे गर्म व शुष्क स्थानों में शामिल हो जाती है. वहीं, इसके नाम से राष्ट्रीय उद्यान भी बना हुआ है जिसे देथ वैली नेशनल पार्क कहा जाता है. वहीं, ये जगह अपने एक रहस्य के लिए दुनिया भर में जानी जाती है. ऐसा कहा जाता है कि यहां पत्थर अपने आप रेंगते हैं. इस जगह को Racetrack Playa के नाम से भी जाना जाता है.   

चलते पत्थरों वाली घाटी  

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लोगों को मानना है कि घाटी के मरुस्थलीय क्षेत्र में पत्थर अपने आप चलते या रेंगते हैं. अगर आप तस्वीर देखें तो आपको वो निशान नज़र आएंगे जिससे ये पता चलता है कि पत्थर एक स्थान से दूसरी जगह यात्रा कर रहे हैं. 

सेलिंग स्टोन्स 

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तस्वीरों के ज़रिए पता लगाया जा सकता है कि ये कोई छोटे-मोटे पत्थर नहीं बल्कि कई किलों के पत्थर हैं. कुछ तो लगभग 320 किलो के हैं. पत्थरों के चलने या रेंगने की इस ख़ूबी की वजह से इन्हें ‘सेलिंग स्टोन्स’ कहा गया है. हालांकि, किसी ने अब तक पत्थरों को चलते नहीं देखा है, लेकिन जो निशान पाए गए हैं कि उससे ये अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि ये ऐसा ज़रूर होता होगा.

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क्या कहते हैं वैज्ञानिक  

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ऐसा कहा जाता है कि 1940s के दौरान कई वैज्ञानिक ने इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश की. लेकिन, कोई भी पत्थरों को चलते नहीं देख पाया. वहीं, कई अन्य वैज्ञानिकों का मानना है कि ये पत्थर Dolomite और Syenite के बने हैं जिससे आसपास के पहाड़ बने हैं. वहीं, भौगोलिक कारणों की वजह से पहाड़ों से टूटकर पत्थर इस मरुस्थल पर आकर गिरते हैं और क्षैतिज (Horizontal) दिशा में मूव करते हैं और अपने पीछे निशान छोड़ जाते हैं. 

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टाइम-लैप्स फ़ोटोग्राफ़ी  

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माना जाता है कि 2014 में वैज्ञानिकों ने टाइम-लैप्स फ़ोटोग्राफ़ी के ज़रिए पत्थरों को चलते देखने का दावा किया गया था. वैज्ञानिकों के अनुसार, ऐसा हवा, बर्फ़ और पानी के परफ़ेक्ट बैलेंस की वजह से होता है. वैज्ञानिक का कहना था कि सर्दियों के दौरान बारीश का पानी यहां एक झील बना देता है और रातों-रात ये झील जम जाती है. वहीं, अलगे दिन झील पिघलने लगती है. झील के ऊपर बर्फ़ की बिछी पतली चादर तेज हवा की वजह से टूटती है और इस वजह से वहां मौजूद पत्थर सरकने लगते हैं.  

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