भारत में घटी वो 5 घटनाएं जब पुनर्जन्म के दावों ने लोगों का दिमाग़ हिलाकर रख दिया था

Nripendra

Stories of Rebirth in India : इस दुनिया की सबसे बड़ी सच्चाई यही है कि जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चत है, लेकिन कब और कैसे, ये किसी को नहीं पता. वहीं, इस बात का भी कोई प्रमाण नहीं मिलता कि मृत्यु के बाद आख़िर होता क्या है. हालांकि, बहुत लोग पुनर्जन्म जैसी घटनाओं पर विश्वास करते हैं, जबकि कुछ इसे मात्र मिथक कहते हैं. पुनर्जन्म को लेकर कुछ अवधारणाओं को भी गढ़ा गया है, जैसे पहली ये कि ईश्वर की आज्ञा से व्यक्ति किसी महान काम के लिए फिर से धरती पर जन्म लेता है.

दूसरी ये कि पुण्य क्रम की समाप्ति के बाद व्यक्ति को फिर से जन्म लेना होता है. तीसरी ये कि कोई पुराना बदला लेने के लिए आत्मा फिर से जन्म लेती है किसी दूसरे शरीर में. लेकिन, इस सब बातों का कोई सटीक प्रमाण नहीं कि पुनर्जन्म बोलकर कुछ चीज़ होती भी है. लेकिन, देश में पुनर्जन्म के दावों से जुड़ी ऐसी घटनाए घट चुकी हैं, जिन्होंने आम इंसान को सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या सच में ऐसा होता है?

आइये, इस क्रम में हम आपको भारत के कुछ ऐसे मामलों को बारे में बताने जा रहे हैं जब पुनर्जन्म (Stories of Rebirth in India) के दावों ने लोगों को चौंकाकर रख दिया था.  

1. मृत्यु के 8 साल बाद अपने परिवार से मिला बच्चा  

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ये घटना (19 अगस्त 2021) उत्तर प्रदेश के मैनपुरी ज़िले की है जब एक लड़का (चंद्रवीर) अपने कथित पिछले जन्म के माता पिता के घर आया और उसने कहा कि वो उनका बच्चा है, जो 8 साल पहले मर चुका था. ये लड़का उस 13 साल के रोहित की बात कर रहा था जिसकी मृत्यु 8 साल पहले कानपुर के नज़दीक नहर में नहाने के दौरान हो गई थी. 

चंद्रवीर जो कि पास के गांव में रहता है, वो प्रमोद कुमार के घर आता है और कहता है कि वो उनका लड़का रोहित है. उसने दावा कि उसका पुनर्जन्म हुआ है और प्रमोद और उषा देवी उसके माता-पिता हैं. वहीं, लोग तब चौंक गए जब उसने कथित पिछले जन्म के हेडमास्टर के पैर छूकर कहा कि ये मेरे सुभाष सर हैं. 
वहीं, गांव वाले उसे उसी स्कूल में ले गए जहां रोहित पढ़ता था और उससे वो सवाल पूछे गए जिनका जवाब सिर्फ़ रोहित ही दे सकता था. जब चंद्रवीर से सवाल पूछे गए, तो उसने सभी सवालों के जवाब सही सही दिए.  

2. बिशन चंद  

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Stories of Rebirth in India : ये घटना उत्तर प्रदेश के बरेली शहर की है जब बिशन चंद नाम का 10 महीने का बच्चा ‘पिलीभीत’ नाम को बोलने की बार-बार कोशिश कर रहा था. बच्चे का जन्म 7 फ़रवरी 1921 में हुआ था. वो जब थोड़ा बड़ा हुआ, तो उसने अपने पुनर्जन्म की बात कही कि वो पहले लक्ष्मी नारायण था, जो पिलीभीत में रहता था. 

 लक्ष्मी नारायण की मृत्यु 32 साल की उम्र में 1918 में हुई थी. बिशन चंद ने अपने कथित पिछले जन्म से जुड़ी कई बातें कही, जिनमें परिवार के सदस्यों व दोस्तों के नाम भी शामिल थे. 
जब वो क़रीब साढ़े 5 साल का हुआ, तो उसके पिता उसे पिलीभीत लेकर गए, ये जानने के लिए कि वो जो कह रहा है, वो सच है या झूठ. लड़के ने पिलीभीत में विभिन्न स्थानों पहचाना. उसने एक तस्वीर में लक्ष्मी नारायण और उनके पिता को भी पहचाना. दिलचस्प बात ये है कि उसने तबला बजाकर भी दिखाया, जो लक्ष्मी नारारण बजाया करते थे. 

3. झालावाड़ के 3 साले के बच्चे ने बताई अपनी मौत की बात 

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राजस्थान के झालावाड़ के एक तीन साल के बच्चे (मोहित) ने दावा किया कि उसका पुनर्जन्म हुआ है और उसकी मृत्यु 16 साल पहले हो गई थी. उस बच्चे ने बताया कि उसकी मृत्यु ट्रैक्टर के नीचे दबकर हुई थी. बच्चा ख़ुद को पिछले जन्म का तोरण बताता है. वहीं, मोहित के पिता का कहना है कि वो ट्रैक्टर की आवाज़ से डर जाता है और रोने लगता है. वहीं, जब दावे की छानबीन की गई, तो पता चला कि कोलूखेड़ी कला में रोड निर्माण काम में मजदूरी करने गए तोरण धाकड़ नाम के एक 25 वर्ष के लड़के की ट्रैक्टर के नीचे दबने से मौत हो गई थी. ये घटना इसी वर्ष यानी 2022 की है.  

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4. पिछले जन्म की सुमन  

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Stories of Rebirth in India : ये घटना राजस्थान, अलवर (2005) की है, जब दो साल की बच्ची ने ख़ुद पुनर्जन्म का दावा करते हुए कहा कि वो मनीषा नहीं, बल्कि सुमन है, जिसकी मृत्यु 15 की उम्र में 2000 में टाइफ़ाइड से हो गई थी. मनीषा के कथित पिछले जन्म के पिता चौधरी कमल सिंह कहते हैं कि, “उस बच्ची ने कहा था कि वो नहीं ये मेरे पिता हैं. कमल आगे ये भी कहते हैं कि किसी ने उनसे कहा था कि वो पिछले जन्म की सुमन हो सकती है, क्योंकि कई चीज़ें जो उसने बताई वो काफ़ी मिलती हैं. फिर मैं उस बच्ची से मिलने गया और जैसे ही उसने मुझे देखा, वो पापा बोलकर मेरी बांहो में आ गई थी”.

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 5. उत्तरा हुद्दार  

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Stories of Rebirth in India : महाराष्ट्र के नागपुर शहर की उत्तरा हुद्दार नाम की महिला ने भी पुनर्जन्म का दावा किया था. उन्होंने कहा था कि वो पिछले जन्म की श्रद्धा चट्टोपाध्याय है, जिनका जन्म 19वीं शताब्दी के बंगाल में हुआ था. उत्तरा ने ये भी कहा था कि, “जब मेरे घरवालों को ये पता चला, तो काफ़ी चौक गए थे. वहीं, जब मैं बंगाली महिला की तरह कपड़े और बातें करती थी, वो उन्हें समझ में नहीं आता था कि वो मेरे से कैसे बात करें”.  

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