इंसान को जलाकर उसकी बची राख का सूप बनाकर पीते हैं लोग, जानिए क्या है ये अजीबो-ग़रीब परंपरा

Abhay Sinha

दुनिया के हर कोने में अलग-अलग संस्कृतियां हैं, उनके अपने रिवाज़ और परंपराएं भी हैं. कुछ बेहद रोचक है, तो कुछ इतने अजीब कि सुनकर विश्वास करना भी मुश्किल है. कुछ ऐसी ही अजीब परंपरा (Weird Tradition) दक्षिण अमेरिका के एक आदिवासी समुदाय यानोमामी (Yanomami Tribe) में भी पाई जाती है. यहां लोग लाशों को जलाकर उनकी बची राख का सूप बनाकर पीते हैं. 

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जी हां, ये बात सुनने में भले ही अजीब लगे, मगर सच है. यानोमामी जनजाति वेनेजुएला और ब्राजील के कुछ हिस्सों में पाई जाती है. इन्हें यानम या सेनेमा के नाम से भी लोग जानते हैं. 

लाशों की राख का सूप बनाकर पीती है यानोमामी जनजाति (Yanomami Tribe)

यानोमामी जनजाति में Cannibalism या इंसानों का मांस खाने की ये अजीब परंपरा Endocannibalism कहलाती है. एंडोकैनिबेलिज्म एक ही समुदाय, जनजाति या समाज के मृत व्यक्ति का मांस खाने की प्रथा है. 

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ऐसे में यहां लोग अपने ही परिवार के लोगों को मरने के बाद जब जलाते हैं, तो उनकी बची राख को केले से बनाए गए एक सूप जैसे पदार्थ में डाल लेते हैं और मृतक के परिवारजन उसमें राख मिलाकर पी जाते हैं. ये वहां की अंतिम संस्कार की एक परंपरा है. इस दौरान ये लोग काफ़ी रोते हैं और मृतक की याद में शोक गीत गाते हैं. 

इतना ही नहीं, कहा जाता है कि जलाने से पहले वो मृतक का मांस भी खाते हैं. दरअसल, किसी के मरने के बाद ये लोग उसके शव को कुछ दिनों के लिए पत्तों से ढक कर रख देते हैं. उसके बाद हड्डियों को जलाकर सूप बनाया जाता है और बचे मांस को खा लिया जाता है.

क्या है इस अजीब परंपरा का कारण?

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यनोमामी आदिवासी इस अजीब परंपरा का पालन क्यों करते हैं? ये सवाल आपके ज़हन में ज़रूर आ रहा होगा. आपको बता दें, उनके ऐसा करने के पीछे वजह मृतक की आत्मा को शांति पहुंचाना है. इस जनजाति का मानना है कि जब मृतक के शरीर के आख़िरी हिस्से को भी उसके परिवार वाले खा लेते हैं, तो उसकी आत्मा को शांति मिलती है और उसकी आत्मा की रक्षा होती है. 

यही वजह है कि ये लोग मृतक की राख को भी ज़ाया नहीं करते. वहीं, अगर कभी कोई व्यक्ति दुश्मन के हाथ मारा जाता है, तो उसके शव को पुरुष नहीं खा सकते. इनके रिवाज के अनुसार, तब महिलाएं ही शव को खाती और राख का सूप बनाकर पीती हैं. इसे मौत का बदला लेने से जोड़कर देखा जाता है.

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