Acid attack victim become topper of school: एक Acid Attack Victim का दर्द क्या होता है, ये शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है. एडिस से झुलसे शरीर के साथ ज़िंदगी बिताना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. वहीं, इस दर्द के साथ अगर कोई सफलता की सीढ़ी पर चढ़ता है, तो एक ग्रैंड सैल्यूट तो ज़रूर बनता है. 15 साल की कैफ़ी (Story of acid attack survivor Kafi in hindi) ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. कैफ़ी ने 10वीं (CBSE) में 95.20% मार्क्स लाकर अपने स्कूल में टॅाप किया है.
आइये, जानते हैं कौन हैं कैफी (Acid attack victim has topped CBSE) और क्या है उनकी दर्द भरी कहानी.
3 साल की उम्र में फ़ेंका गया था एसिड
Acid attack survivor scores 95%: कैफ़ी Chandigarh’s Institute for the Blind की छात्रा हैं. जब वो तीन वर्ष की थीं, तो उनपर पड़ोस में रहने वाले तीन युवकों ने होली के दिन जलन के मारे एसिड फ़ेंक दिया था. ये घटना हिसार के एक गांव बुढ़ाना में घटित हुई थी.
एसिड की मात्रा और उसका प्रभाव इतना था कि इसमें कैफ़ी की आंखें चली गईं और उनका चेहरा और बाजू झुलस गए. बावजूद इसके कैफ़ी ने ज़िंदगी से हार नहीं मानी और आज उन्होंने अपने स्कूल में टॉप कर उन युवकों के मुंह पर तमाचा मारने का काम किया है.
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आसान नहीं था यहां तक का सफ़र
Story of acid attack survivor Kafi in hindi: एसिड अटैक के बाद यहां तक पहुंचने का सफ़र इतना आसान नहीं था. जब उन पर अटैक हुआ, तो उन्हें इलाज के लिए AIIMS में भर्ती कराया गया. डॉक्टर उनकी जान बचाने में तो कामयाब रहे, लेकिन इसके साथ ये भी पता चला कि कैफी अब ज़िंदगी भर देख नहीं पाएंगी, उनकी आंखों की रोशनी एसिड के कारण चली गई.
आरोपियों को सज़ा दिलाने के लिए किया संघर्ष
Acid attack victim become topper of school: कैफ़ी के लिए पिता ने आरोपियों को सज़ा दिलाने के लिए खूब संघर्ष किया. हालांकि, आरोपियों को सिर्फ़ दो साल की सज़ा हुई और आज वो आज़ाद घूम रहे हैं.
छोड़ना पड़ा गांव
Acid attack victim topped CBSE: 8 साल की उम्र में पिता ने उन्हें हिसार में ही एक नेत्रहीन स्कूल में भर्ती कराया, लेकिन पढ़ाई की सही सुविधा न होने के कारण आगे चलकर उन्हें परिवार के साथ चंडीगढ़ शिफ़्ट होना पड़ा. पढ़ाई में अच्छी होने के कारण कैफ़ी को Chandigarh’s Institute for the Blind स्कूल में छठी क्लास में दाखिला मिल गया. कैफ़ी ने मन लगाकर पढ़ाई की और आज 10वीं में टॉप करके उन्होंने न सिर्फ़ माता-पिता का मान बढ़ाया, बल्कि बाकियों को भी हौसला देने का काम किया है.
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