बीते कुछ सालों में भारतीय सेना महिलाओं को अलग-अलग कार्यभार सौंप रही हैं. पंडुबियों से लेकर फ़ाइटर जेट्स उड़ाने तक महिलाएं हर जगह अपनी पहचान बना रही हैं.
फरवरी 2016 में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने ये घोषणा की थी कि महिलाओं को सेना में Combat Roles में भी हिस्सा लेने दिया जाएगा. लेकिन अब भी कई लोगों को ऐसा लगता है कि महिलाएं सेना में कई Roles के लिए सही नहीं हैं.
उन सब के मुंहतोड़ जवाब देने के लिए ये 7 सुपरवुमन ही काफ़ी हैं:
1. पुनीता अरोड़ा, पहली महिला लेफ़्टिनेंट जनरल
पुनीता का जन्म एक पंजाबी परिवार में हुआ. उन्होंने 8वीं तक की पढ़ाई उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से की. 1963 में उन्होंने Armed Force Medical College(AFMC), पुणे में दाखिला लिया. अपने बैच की टॉपर थीं पुनीता. 2004 में उन्होंने AFMC की Commandant के रूप में कार्यभार संभाला. AFMC से पुनीता, Vice Admiral के रूप में भारतीय नौसेना से जुड़ी. उन्हें राष्ट्रपति द्वारा सेना मेडल से पुरस्कृत किया गया. भारतीय सेना में लेफ़्टिनेंट जनरल के पद पर आसीन वो पहली महिला हैं.
2. प्रिया झिंगन, भारतीय सेना से जुड़ने वाली पहली महिला कैडेट
भारतीय सेना में कैडेट के रूप में जुड़ने वाली पहली कैडेट हैं प्रिया. 1992 में उन्होंने सेना प्रमुख को चिट्ठी लिखी और महिलाओं को सेना से जुड़ने का अवसर देने का अनुरोध किया. 1 साल बाद तत्कालीन सेना प्रमुख ने प्रिया और 24 अन्य महिलाओं को सेना से जुड़ने का अवसर दिया. चेन्नई के ऑफ़िसर्स ट्रेनिंग एकेडमी में उन्होंने ट्रेनिंग ली.
3. अंजना भदोरिया, भारतीय सेना में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली महिला
Microbiology में Msc करने के बाद अनजना ने सेना के Women Special Entry Scheme विज्ञापन को देखा और एप्लाई कर दिया. 10 सालों तक वे भारतीय सेना का हिस्सा रहीं. हर फ़ील्ड में अव्वल आने के लिए उन्हें स्वर्ण पदक से नवाज़ा गया.
4. दिव्या अजीत कुमार, ‘Sword of Honour’ पाने वाली पहली महिला
21 साल की उम्र में 244 पुरुष और महिला कैडेट्स को हराकर Best All-Round Cadet का खिताब ‘Sword of Honour’ पाया दिव्या ने. इस खिताब को पाने के लिए कई तरह की परिक्षाओं से गुज़रना पड़ता है. भारतीय सेना के इतिहास में ये खिताब पाने वाली वो पहली महिला हैं. 2015 के गणतंत्र दिवस परेड में उन्होंने 154 महिलाओं के Contingent का नेतृत्व किया था.
5. मिताली मधुमिता, लेफ़्टिनेंट करनल
मिताली, भारतीय सेना की पहली महिला सिपाही हैं जिन्हें वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. लेफ़्टिनेंट करनल मिताली को 2011 में सेना मेडल से सम्मानित किया गया. 2010 में अफ़्गानिस्तान में भारतीय एंबेैसी में हुए आत्मघाती हमले में वीरता दिखाने के लिए उन्हें ये पदक दिया गया. मिताली 2000 में Short Service Commission पर वो सेना से जुड़ी. वे Army Education Corps से जुड़ी थी और अफ़्गानिस्तान में सेना के English Language Training Program का हिस्सा थी. मधुमिता जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्वी राज्यों में भी पोस्टेड थी.
6. शांति तिग्गा, भारतीय सेना की पहली महिला जवान
35 साल की उम्र में भारतीय सेना में शामिल होने वाली पहली जवान थीं शांति. Physical Fitness टेस्ट के दौरान, 50 मीटर की दौड़ उन्होंने 12 सेकेंड में पूरी कर ली थी. Guns हैंडल करने में वे काफ़ी अच्छी थी इसलिए उन्हें Marksman की पदवी दी गई.
7. सोफ़िया क़ुरैशी, भारतीय सेना के किसी ट्रेनिंग Contingent का नेतृत्व करने वाली पहली महिला
Corps of Signals की सोफ़िया भारतीय सेना के किसी ट्रेनिंग Contingent का नेतृत्व करने वाली महिला अफ़सर हैं. उन्होंने 2016 में हुए ASEAN Plus Multinational Field Training Exercise में Contingent का नेतृत्व किया था.
ऐसा कुछ नहीं है जो महिलाएं नहीं कर सकती. अगर वो कुछ करना चाहती है तो उसे वो करने का हक़ है.