‘माता-पिता का ऋण कभी नहीं उतारा जा सकता’, रस्मों को तोड़ते हुए, हंसते-हंसते विदा हुई ये दुल्हन

Sanchita Pathak

शादी के कई रीति-रिवाज़ काफ़ी अजीब होते हैं. कहीं दुल्हन और उसके माता-पिता के उपास करने का रिवाज़ है, तो कहीं दिन में 7 बार मीठी चीज़ें खिलाने का रिवाज़ है. विदाई के वक़्त दुल्हन अगर न रोए और ख़ुश नज़र आए, तो इसे भी काफ़ी बुरा माना जाता है.

वक़्त के साथ शादी-विवाह के तौर-तरीके, रीति-रिवाज़ सब बदल रहे हैं पर आज भी कुछ रीति-रिवाज़ जस के तस पड़े हैं.  

बंगाल में एक नवविवाहिता ने विदाई की एक रीति को जड़ों से तोड़ डाला है. ये दुल्हन विदाई में न तो रोई और न ही उसने चावल छिड़कने के दौरान कहे जाने वाले शब्द कहे.

‘कनकांजलि’ रस्म के दौरान दुल्हन को मां की तरफ़ चावल फेंकने होते हैं और कहना होता है, ‘आपका सारा ऋण चुका दिया’.  

 हर तरफ़ शेयर किए जा रहे इस वीडियो में महिला ने ऐसा कहने से मना कर दिया और कहा कि ‘माता-पिता का ऋण कभी नहीं उतारा जा सकता.’

हंसते-हंसते और दूसरों को रोने के लिए मना करते हुए और बेतुके नियमों को तोड़ते हुए, इस दुल्हन ने अपने पिता के घर से विदा लिया.  

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